ब्रायोफायटा में थैलस की संरचना (Structure of Thallus in Bryophyta)
ब्रायोफायटा के आद्य सदस्यों में युग्मकोद्भिद थैलस शयान (prostrate), चपटा, पृष्ठाधारी व द्विभाजी शाखित होता है। थैलस की प्रत्येक शाखा की आकृति ज्यादातर बेजाकार या हृदयाकार हो सकती है। जब इसमें शाखन तीव्र गति से होता है तब यह भूमि पर रोजेट आकृति निर्मित कर लेते हैं। कुछ ब्रायोफायटा के सदस्यों का पादप सुकाय अधिक विभेदित होता है तथा इनके युग्मकोदभिद आकार में 15 सेमी तक लम्बे व समूहों में उगते हैं। धरती पर यह मूलाभास द्वारा स्थिर रहते हैं। कुछ सदस्यों का शरीर पृष्ठाधारी होता है जबकि कुछ सदस्यों में स्तंभ उपस्थित होता है जो द्वि अथवा त्रिशाखी हो सकता है। मुख्य अक्ष व शाखों पर पर्ण उपस्थित होते हैं। कुछ बायोविज्ञों के अनुसार थैलस युक्त पादपों को ब्रायोफायटा में प्रागत माना है उनके मतानुसार थैलस सदस्य आदिम वंश ना होकर विकास में एक अत्यन्त ह्यासित (reduced वंश है
कुछ आद्य लिवरवर्ट में जैसे मेटज्जरविलेस (Metzgeriales), जंगरमेनिऐल्स (Jungermaniales), केलोब्रायेल्स (Calobryales), टकाकियेल्स (Takakiales) आदि में युग्मकोद्भिद पादप काय पर्णिल (leafy) होते हैं किंतु इनका पादप शरीर परिवर्धन की किसी ना किसी अवस्था में पृष्ठाधारी जरूर रहता है। इनमें एक मुख्य अक्ष पाया जाता है जिस पर पत्तियाँ विन्यासित होती है। यह तीन पक्तियों (rows) में विन्यासित हो सकती हैं। दो पंक्तियाँ अपाक्ष-पार्श्व (dorsolateral) व एक पंक्ति अभ्यक्ष स्थिति में पायी जाती है अभ्यक्ष (ventral) पंक्ति की पत्तियाँ छोटी होती है जो एम्फिगेस्ट्रिया कहलाती हैं। यह देखा गया है कि विकास के दौरान यह पत्तियाँ हासित (reduced) हो जाती है और कालान्तर में समाप्त हो जाती है उदाहरण स्वरूप फॉस्मब्रोनिया (Fossombroma ) में पत्तियों की केवल दो ही पार्श्व (lateral) पक्तियाँ (rows) मिलती हैं जो यह दर्शाती है कि थैलॉइड स्वरूप, पर्णिल स्वरूपों से उनके पत्तियों के समाप्त होने से विकसित हुये हैं।
उपरोक्त तथ्य मेटज्जरियेल्स के एक सदस्य द्वारा सिद्ध होता है। सदस्य शिफनेरिया (Shiffineria) में थैलस का कायिक स्वरूप (vegetative phase) तो थैलोइड होता है किंतु प्रजनन के दौरान थैलस के अभ्यक्ष तल (ventral surface) पर पर्णिल शाखा निर्मित हो जाती है जिस पर जननांग (reproductive organs) लगते हैं.