राजस्थान में मृदा के प्रकार, मिट्टियों का वर्गीकरण Soil Types, Soil Classification in Rajasthan
मृदा Soil पृथ्वी की ऊपरी परत है जो पौधे की वृद्धि के लिए पोषक तत्व जल एवं अन्य खनिज लवण प्रदान करती है। राजस्थान में मृदा का सर्वाधिक अपरदन हाडोती पठार के नजदीक होता है। इस में बीहड़ क्षेत्र भी शामिल है।
रेतीली मिट्टी
विस्तार | नागौर, जोधपुर, बाड़मेर, बीकानेर, जैसलमेर, हनुमानगढ़, श्री गंगानगर, चूरू, पाली, झुंझुनूं |
वर्षा | 40cm से कम |
विशेषताएं | रेट की अत्यधिक मात्रा पाई जाती है मृदा का पीएच मान उच्च होता है कैल्शियम कार्बोनेट की अधिकता होती है। रेतीली मृदा में नाइट्रोजन की कमी होती है। कार्बनिक पदार्थ की कमी होती है। |
भूरी रेतीली मिट्टी
विस्तार | भुरी रेतीली मिट्टी का विस्तार बाड़मेर जालौर जोधपुर पाली सीकर नागौर अजमेर सिरोही जिलों में है। |
वर्षा | 40 सेंटीमीटर से अधिक |
विशेषताएं | भुरी रेतीली मृदा में रेप की प्रधानता होती है फाॅस्फेट की मात्रा पर्याप्त होती है। |
पर्वतीय मिट्टी
विस्तार | पर्वतीय मृदा का विस्तार अरावली पर्वतमाला और उसके आसपास के क्षेत्र में है। |
वर्षा | यहां पर 60 सेंटीमीटर से अधिक वर्षा होती है। |
विशेषताएं | कृषि के लिए ज्यादा उपयुक्त नहीं है। |
मिश्रित लाल पीली मिट्टी
विस्तार | मिश्रित लाल पीली मिट्टी का विस्तार सवाई माधोपुर अजमेर भीलवाड़ा सिरोही राजसमंद जिले में है। |
विशेषताएं | कार्बोनेट की कमी होती है । नमी धारण करने की क्षमता अधिक होती है। नाइट्रोजन व जैविक पदार्थ की कमी होती है। |
लाल दोमट मिट्टी
विस्तार | लाल दोमट मिट्टी का विस्तार डूंगरपुर उदयपुर बांसवाड़ा राजसमंद में है। |
विशेषताएं | इस मिट्टी में लौह तत्व की अधिकता होती है और चुना पोटाश फास्फोरस कम मात्रा में पाई जाती है। इस मृदा में मक्का चावल का उत्पादन सर्वाधिक होता है। |
मिश्रित लाल काली मिट्टी
विस्तार | इसका विस्तार उदयपुर चित्तौड़गढ़ डूंगरपुर बांसवाड़ा भीलवाड़ा में है। |
विशेषताएं | फाॅस्फेट नाइट्रोजन कैल्शियम और कार्बनिक पदार्थ की कमी होती है। इस मृदा में कपास और मक्का की फसल अधिक उगाई जाती है। |
मध्यम काली मिट्टी
विस्तार | बारां झालावाड़ कोटा बूंदी चित्तौड़गढ़ |
विशेषताएं | गहरे भूरे व काले रंग की होती है। कैल्शियम, पोटाश पर्याप्त मात्रा में पाया जाता है। |
जलोढ़ मिट्टी
विस्तार | भरतपुर धौलपुर दोसा टोंक जयपुर सवाई माधोपुर |
विशेषताएं | इस मृदा में चूना, फाॅस्फोरिक अम्ल तथा ह्मस की कमी होती है |
भूरी मिट्टी
विस्तार | टोंक सवाई माधोपुर अजमेर भीलवाड़ा |
विशेषताएं | उत्पादन के लिए अच्छी मिट्टी है चुना, फास्फोरस की कमी होती है। |
राजस्थान की मिट्टियो का वर्गीकरण
राजस्थान की मृदा को उत्पत्ति रासायनिक संरचना एवं गुणों के आधार पर निम्न प्रकार से विभाजित किया गया है।
एरिडीसोल्स
यह शुष्क जलवायु में पाई जाती है इसका विस्तार राजस्थान में चूरू सीकर झुंझुनू नागौर पाली जोधपुर में है।
अल्फीसोल्स
इस मृदा का विस्तार अलवर भरतपुर दोसा जयपुर टोंक सवाई माधोपुर चित्तौड़गढ़ बांसवाड़ा बारां और उदयपुर जिले में है।
एंटीसोल्स
इस प्रकार की मृदा राजस्थान के पश्चिमी क्षेत्र में पाई जाती है, इस मृदा का विस्तार बाड़मेर जैसलमेर जोधपुर बीकानेर गंगानगर हनुमानगढ़ नागौर जालौर पाली जिले में है। इस मिट्टी का रंग हल्का पीला भूरा होता है।
इनसेप्टीसोल्स
इस मृदा का विस्तार सिरोही उदयपुर राजसमंद सवाई माधोपुर जयपुर चित्तौड़गढ़ पाली जिलों में है।
वर्टिसोल्स
इस मृदा का विस्तार बारां कोटा बूंदी झालावाड़ डूंगरपुर जिलों में है।
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