रामायण RAMAYANA

रामायण RAMAYANA

इसके रचयिता ‘ महर्षि वाल्मिकी ‘ ( मूलनाम अग्नि शर्मन ) थे । रामायण को भारत का आदि महाकाव्य एवं वाल्मिकी को आदि कवि माना जाता है । महाभारत व पुराणों में वाल्मीकि को भार्गव ( रघुवंशनंद उत्पन्न ) बताया है । इसके प्रारम्भ में इसमें 6 हजार श्लोक थे , कालान्तर में 12 हजार एवं वर्तमान में 24 हजार श्लोक हैं , इसलिए इसे ‘ चतुर्विशति साहस्त्री संहिता ‘ कहा जाता है । रामायण व महाभारत का अन्तिम रूप से संकलन गुप्तकाल में 400 ई . के आसपास हुआ ।

रामायण को सात काण्डों ( बालकाण्ड , अयोध्या काण्ड , अरण्य काण्ड , किष्किन्धा काण्ड , सुन्दर काण्ड , लंका काण्ड और उत्तर काण्ड ) में विभाजित किया गया है । बालकाण्ड व उत्तर काण्ड के अधिकांश भागों को बाद में जोड़ा गया है ।

 रामायण का तमिल भाषा में पहली बार अनुवाद ‘ चोल शासक कुलोतुंग तृतीय ‘ के समय में कवि ‘ कम्बन ‘ ने किया था , जिसमें रामायण का नाम ‘ रामायणम् ‘ अथवा ‘ रामावतरम् ‘ है । रामकथा पर आधारित ग्रन्थों का अनुवाद सर्वप्रथम भारत से बाहर चीन में किया गया । भुशुण्डि रामायण को आदिरामायण कहा जाता है ।

 इसका बंगाली में अनुवाद बंगाल के शासक ‘ बारबक शाह ‘ के समय कृतिवास ने किया था तथा 20 वीं शताब्दी में ई.वी. रामास्वामी नायकर ( पेरियार ) ने रामायण का तमिल भाषा में सच्ची रामायण नाम से अनुवाद किया । 

गायत्री मन्त्र में 24 अक्षर होते हैं । रामायण के प्रत्येक 1000 श्लोक का प्रथम अक्षर गायत्री मन्त्र से होता है । RAMAYANA को बाद में महाकवि तुलसीदास ने ‘ रामचरितमानस ‘ के रूप में सरल शब्दों में लिखकर लोकप्रिय बनाया ।

महाभारत

महाभारत का सर्वप्रथम उल्लेख आश्वलायन गृह सूत्र ‘ में मिलता है । आश्वलायन के गृहसूत्र में वैश्पायन को ‘ महाभरताचार्य ‘ कहा है । पृथ्वी पर अब तक कुल 28 व्यास हुए , जिनमें से वेदव्यास ‘ 28 वें हैं महाभारत का संकलन ‘ महर्षि कृष्ण देवपायन वेदव्यास ‘ ( मूलनाम कृष्ण द्वैपायन । इनका अन्य नाम ‘ बादरायण व वेदव्यास ‘ है । ) ने किया था । इसके पिता महर्षि पाराशर थे । कृष्ण द्वैपायन वेदव्यास कृष्ण वर्ण होने के कारण कृष्ण , यमुना द्वीप में जन्म लेने के कारण द्वैपायन व वेदों का संकलन करने के कारण वेद व गौत्र व्यास होने के कारण व्यास कहलाया ।

महाभारत की रचना रामायण के बाद में हुई इसका अन्तिम रूप से संकलन 400 ईस्वी के आसपास राजस्थान में पुष्कर झील के किनारे हुआ था । प्रारम्भ में महाभारत में 8800 श्लोक थे तब इसे ‘ जय संहिता ‘ कहा जाता था तथा बाद में इन श्लोकों की संख्या 24000 हो गई तब इसे ‘ भारत नाम से जाना जाता था । वर्तमान में इसमें श्लोकों की संख्या 1 लाख है इसलिए ‘ शतसहस्वसंहिता / महाभारत ‘ नाम से जाना जाता है । 

यह विश्व का सबसे बड़ा ‘ महाकाव्य ‘ है । महाभारत में कुल 18 पर्व हैं । प्रारम्भिक पर्व आदि पर्व है व अंतिम स्वर्गारोहण पर्व है । तथा इसके छठे पर्व में ‘ गीता ‘ का उल्लेख मिलता है । इसे ‘ भीष्म समय पर्व ‘ कहा जाता है । गीता को स्मृति प्रस्थान भी कहा जाता है । गीता में ‘ सर्वप्रथम अवतारवाद का उल्लेख ‘ तथा ज्ञान , भक्ति , कर्म का नाम संगम मिलता है ।

 महाभारत को पंचम वेद ‘ कहा जाता है , जिसका परिशिष्ट पर्व खिलपर्व ) हरिवंश नाम से जाना जाता है , जिसमें कृष्ण वंश की कथा का वर्णन है । इसका तमिल में अनुवाद ‘ पेरूदेवनार ‘ ने किया तथा इसका ‘ भारतम् ‘ नाम दिया और इसका फारसी में बदायूंनी ‘ रज्जमनामा ‘ नाम से अनुवाद किया ।

 445 ईस्वी के एक शिलालेख में महाभारत को ‘ शतसाहस्त्री संहिता ‘ कहा गया । महाभारत एक से अधिक विषय पर लिखा गया विश्व का सबसे बड़ा ग्रन्थ है , तो एक विषय पर लिखा गया सबसे बडा गन्श फारसी धर्म का ‘ जेंद अवेस्ता ‘ है ।

रामायण और महाभारत के महत्वपूर्ण तथ्य

  •  महाभारत में मुख्य कहानी ‘ पाण्डु ‘ और ‘ धृतराष्ट्र ‘ के पुत्रों ( पाण्डवों और कौरवों ) के बीच हुए संघर्ष की है जिसका अन्त वर्तमान दिल्ली के निकट हरियाणा में स्थित कुरूक्षेत्र के मैदान में ‘ महाभारत युद्ध ‘ के नाम से हुआ ।
  • महाभारत काल में पाण्डवों ने अपना अज्ञातवास विराटनगर ( जयपुर ) में गुजारा था , यह विराटनगर ( बैराठ ) मत्स्य महाजनपद की राजधानी थी ।
  • राजा भरत जिनके नाम पर हमारे देश का नाम पड़ा , इनके पिता दुष्यन्त थे । पौराणिक हिन्दू ग्रन्थों में भरत की पत्नी का नाम मांडवी है ।
  • गायत्री मन्त्र में 24 अक्षर होते हैं । रामायण के प्रत्येक 1000 श्लोक का प्रथम अक्षर गायत्री मन्त्र से शुरू होता है । रामायण को बाद में महाकवि तुलसीदास ने ‘ रामचरितमानस ‘ के रूप में सरल शब्दों में लिखकर लोकप्रिय बनाया।
  • धर्मशास्त्रों में भू – राजस्व की दर 1/4 थी ।
  • वसुदैवकुटुम्बकम ‘ की भावना वैदिक संस्कृति की ही देन हैजो आज ( ग्लोबलाइजेशन ) ‘ भूमण्डलीकरण ‘ के रूप में दिखाई देता है ।
  • हिन्दू धर्म का पारम्परिक प्राचीन नाम सनातन धर्म माना जाता है ।
  • भारतीयदर्शन ‘ मीमांसा का संस्थापक जैमिनी को माना जाता है ।
  • संसार ईश्वर है और ईश्वर मेरी आत्मा है उपनिषदों में कहा गया है ।

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