NCF 2005

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NCF 2005 शिक्षण अधिगम प्रक्रिया मुख्य रूप से पाठ्यक्रम पर निर्भर करती है । वास्तविक रूप से पाठ्यक्रम ही वह साधन है जो कि अध्यापक तथा विद्यार्थियों का मार्गदर्शन करता है ।

NCF 2005 का परिचय 

  • NCF के अनुसार शिक्षा का उद्देश्य बालक जीवन का अर्थ समझ सके।
  • मूल्य जो शांति , मानवता व सांस्कृतिक विविधता वाले समाज के सहिष्णुता को बढ़ावे ।
  • बच्चे ज्ञान के ग्रहणकर्ता मात्र है पाठयपुस्तक के परीक्षा का आधार है इस धारणा को बदलना है।
  • यांत्रिक सीखना बच्चे का सुख छीन लेता है ।
  • राष्ट्रीय शिक्षा नीति 1986 राष्ट्रीय शिक्षाक्रम के एक सामान्य केन्द्र की बात करती है जिसमें लचीलापन होगा जिसे स्थानीय पर्यावरण व परिवेश के अनुसार ढाला जा सकेगा । इसकी बात NCF 2005 भी करता है ।
  • N.C.F. 2005 – सार्वभौमिक प्रारम्भिक शिक्षा पर बल देता है पाठ्यचर्या में ज्ञान , कार्य शिल्प की परम्परा को शामिल । पर्यावरण पोषण , शांति को जीवन शैली के रूप में अपनाना । बच्चों के आत्म सम्मान , नैतिकता , रचनात्मकता का विकास ।
  • जेपी नायक ने समानता , गुणवत्ता व परिमाण का भारतीय शिक्षा का दुर्गाह्य त्रिकोण बताया था
  • ncf 2005 , POA 1992 के तीन तत्वों को समाहित करता है प्रासंगिकता , लचीलापन व गुणवत्ता

पाठ्यक्रम का अर्थ Meaning of curriculum

करीकुलम Curriculum शब्द की उत्पत्ति लैटिन भाषा के क्यूररे ( Currere ) से हुई है जिसका शाब्दिक अर्थ होता है  दौड़ का मैदान । अर्थात पाठ्यक्रम दौड़ का वह मैदान है जिस पर बालक लक्ष्य को प्राप्त करने के लिए दौड़ता है ।

कनिंघम ” पाठ्यक्रम कलाकार ( शिक्षक ) के हाथ में एक यन्त्र है जिससे वह अपनी सामग्री ( विद्यार्थी ) को अपने आदर्श ( लक्ष्य ) के अनुसार , अपने कलागृह ( विद्यालय ) में मोड़ता है | “

  • राष्ट्रीय पाठ्यचर्या की रूपरेखा प्रोफेसर यशपाल के नेतृत्व में तैयार की गई ।
  • राष्ट्रीय पाठ्यचर्या दस्तावेज का प्रारंभ प्रसिद्ध शिक्षाशास्त्री , राष्ट्रीय गान के निर्माता तथा नोबल पुरस्कार विजेता रविन्द्रनाथ टैगोर के निबंध सभ्यता और प्रकृति के एक उद्वरण से हुआ है ।

NCF – 2005 का मुख्य सूत्र 

Learning without Burden ( बिना बोझ के सीखना )

राष्ट्रीय पाठ्यचर्या संरचना 2005 की विशेषताएं और उद्देश्य Characteristics and Objectives of National Curriculum Framework [ NCF 2005 ] 

1. इस पाठ्यचर्या की संरचना में पर्यावरणीय शिक्षा को महत्वपूर्ण स्थान दिया गया ।

2. नवीन शिक्षण विधियों के प्रयोग पर बल ।

3. बाल केन्द्रितता को महत्वपूर्ण स्थान ।

4. छात्रों का सर्वांगिण विकास पर बल ।

5. नवीन तकनीकी के प्रयोग को मान्यता ।

6. आवश्यकतानुसार परिवर्तन का प्रावधान ।

7. पाठ्य सहगामी क्रियाओं की अनिवार्यता ।

8. शिक्षा को व्यावसायोन्मुखी बनाने का प्रयास ।

9. मानसिक स्तर एवं योग्यता के अनुसार पाठ्यक्रम का निर्धारण

10. गुणवत्ता आयाम में बालकों के लिए संरचित अनुभव व पाठ्यक्रम सुधार को महत्व ।

11. शांति शिक्षा को बढ़ावा ।

12. महिलाओं के प्रति आदर एवं जिम्मेदारी का दृष्टिकोण विकसित करने के कार्यक्रम का आयोजन करना ।

13. परीक्षा प्रणाली में सुधार का आयोजन ।

14. निरन्तर व व्यापक मूल्यांकन

15. बच्चों में तार्किक चिन्तन तथा समस्या समाधान की योग्यता का विकास करना ।

16. बालकों के ज्ञान को विद्यालय के बाहरी जीवन से जोड़ना ।

17. पढ़ाई रटन्त प्रणाली से मुक्त हो यह सुनिश्चित करना ।

18. बालकों के चहुंमुखी विकास पर आधारित पाठ्यचर्या हो ।

19. सभी विद्यार्थियों हेतु समावेशी वातावरण तैयार करना ।

20. गणित की बेहतर शिक्षा का हक हर बच्चे का होना चाहिए क्योंकि इससे बच्चों में समस्या समाधान की क्षमता का विकास होता है ।

21. सामाजिक विज्ञान की विषय वस्तु में अवधारणात्मक समझ पर ध्यान दिया जाये , जिससे बच्चों में सामाजिक मुद्दों पर स्वतंत्र तथा आलोचनात्मक दृष्टिकोण विकसित हो सके ।

22. विभिन्न कलाओं जैसे संगीत नृत्य , कला , मिट्टी की कला आदि को पाठ्यचर्या में सम्मिलित करना ।

23. स्वास्थ्य एवं शारीरिक शिक्षा को विद्यालयी शिक्षा का अनिवार्य भाग बनाया जाये ।

24. बच्चों को चहुंमुखी विकास के अवसर दिये जाये ।

ncf-2005 के अनुसार शिक्षण विधियां

  1. करके सीखना।
  2. निरीक्षण करके सीखना।
  3. परीक्षण करके सीखना।
  4. सामूहिक विधि द्वारा सीखना।
  5. मिश्रित विधि द्वारा सीखना।

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