रक्त के बारे में पूरी जानकारी

हेमेटोलॉजी किसे कहते हैं hematology – विज्ञान की वह शाखा जिसमें रक्त का अध्ययन किया जाता है उसे hematology कहा जाता है।

Haemopoiesis हिमोपॉयसिस

रक्त निर्माण की प्रक्रिया को haemopoiesis कहा जाता है

रक्त एक प्रकार का तरल संयोजी उत्तक है एक स्वस्थ व्यक्ति के अंदर 5 से 6 लीटर रक्त पाया जाता है कुल शरीर के भार का 7 -8% रक्त होता है।

रक्त का निर्माण कहां होता है

रक्त का निर्माण मुख्य रूप से अस्थि मज्जा में 70 % होता है तथा बाकी 30% लीवर, प्लीहा तथा पसलियों में होता है।
Note- भ्रूण में रक्त का निर्माण यकृत द्वारा होता है

अस्थि मज्जा bone marrow

लंबी अस्थि में अस्थि मज्जा द्रव पाया जाता है जिसमें स्टेम सेल अर्थात स्तंभ कोशिका पाई जाती है स्टेम सेल विभाजित होकर RBC , WBC व प्लेटलेट्स बनाती है जो रक्त के भाग है।
रक्त का पीएच 7.4 होता है जो कि हल्का क्षारीय प्रकृति का है ।
रक्त को दो भागों में बांटा गया है 1.प्लाज्मा -55% हल्का पीला रंग का होता है
2.रक्त कणिकाएं-45% रक्त कणिकाओं को पुनः तीन भागों में बांटा गया है
RBC
WBC
Platelets

1.प्लाज्मा

प्लाज्मा का रंग हल्का पीला होता है प्लाज्मा में हीमोग्लोबिन नहीं पाया जाता प्लाज्मा में अनेक प्रकार की प्रोटीन उपस्थित होती हैं प्लाज्मा भाग में एंटीबॉडी का निर्माण किया जाता है ।प्लाज्मा भाग में सर्वाधिक मात्रा में जल उपस्थित होता है लगभग 93 से 94 %।प्लाज्मा में अनेक कार्बनिक अकार्बनिक पदार्थ तथा खनिज तत्व उपस्थित होते हैं जैसे सोडियम पोटेशियम कैल्शियम तथा ग्लूकोज आदि।
प्लाज्मा में हीपेरिन भी उपस्थित होता है जिसका संश्लेषण लीवर में होता है। हीपेरिन रक्त को तरल अवस्था में बनाए रखने का कार्य करता है।

प्लाज्मा में पाए जाने वाले प्रोटीन

Albumin protein- रक्त के परासरण दाब को बनाए रखता है अम्लीयता व क्षारीयता को बनाए रखता है इसका संश्लेषण यकृत में होता है
globulin protein- प्रतिरक्षी यों के निर्माण में सहायक है इसका निर्माण भी यकृत में होता है
fibrinogen protein- रक्त का थक्का निर्मित करने में सहायक होता है।

2. रक्त कणिकाएं blood carpels

रक्त कणिकाएं तीन प्रकार की होती हैं RBC ,WBC, प्लेटलेट्स

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[A] RBC/Red blood carpels/ लाल रक्त कणिकाएं

आरबीसी का दूसरा नाम इरीथ्रोसाइट भी है आरबीसी का निर्माण अस्थि मज्जा में होता है आरबीसी का जीवनकाल निश्चित 90 से 120 दिन होता है।
आरबीसी में केंद्रक अनुपस्थित होता है अपवाद स्वरूप ऊंट तथा लांबा की आरबीसी केंद्रक युक्त होती है
अपरिपक्व आरबीसी केंद्रक युक्त होती हैं परिपक्व आरबीसी केंद्रक विहीन होती हैं।
समस्त मृत आरबीसी 120 दिन बाद प्लीहा में जाकर एकत्रित हो जाती है इसलिए प्लीहा को आरबीसी का कब्रिस्तान भी कहा जाता है
सबसे छोटी आरबीसी कस्तूरी मृग Musk dear की होती है.
सबसे बड़ी आरबीसी एम्फीयूमा (मेंढक प्रजाति) की होती है।
इनकी संख्या स्वस्थ व्यक्ति में 55 से 60 लाख घन सेंटीमीटर तक होती है
आरबीसी में हीमोग्लोबिन होना पाया जाता है

हिमोग्लोबिन

हिमोग्लोबिन हिमो+ ग्लोबिन से बना है जहां हीम Fe आईरन तथा ग्लोबिन प्रोटीन है।
हिमोग्लोबिन में Fe+2 फैरस उपस्थित होता है। हमारे शरीर में Fe+3 फेरिक अवस्था में मांसपेशियों में उपस्थित होता है।
हिमोग्लोबिन को रक्त का वर्णक तथा श्वसन वर्णक भी कहा जाता है हिमोग्लोबिन बैंगनी रंग का वर्णक होता है जो ऑक्सीजन के साथ क्रिया करके ऑक्सिहीमोग्लोबिन बनाता है oxyhaemoglobin लाल रंग का होता है। ऑक्सिहीमोग्लोबिन के कारण रक्त का रंग लाल दिखाई देता है।

हिमोसाइनिन

हीमोसाइएनिन ऐसा वर्णक है जिसमें Cu उपस्थित होता है तथा हीमोसाइएनिन का रंग नीला होता है कॉपर के कारण।हीमोसाइएनिन के कारण कुछ जीवों के रक्त का रंग नीला होता है।
हिमोग्लोबिन की संरचना पोरफायरीन वाले के समान उपस्थित होती है एक अणु हीमोग्लोबिन और चार अणु ऑक्सीजन के जोड़कर ऑक्सिहीमोग्लोबिन बनाते हैं।
ऊंचाई पर जाने पर आरबीसी की संख्या में वृद्धि होती है आरबीसी की संख्या में वृद्धि होना पॉलीसिथीमिया कहलाती है आरबीसी की सतह पर प्रतिजन का निर्माण होता है क्योंकि आरबीसी की सतह पर प्रतिजन का निर्माण करने वाली प्रोटीन उपस्थित होती हैं आरबीसी का निर्माण red bone marrow ,यकृत ,प्लीहा द्वारा होता है।

[B]. WBC/ white blood carpels श्वेत रक्त कणिकाएं

डब्ल्यूबीसी का दूसरा नाम ल्यूकोसाइट है।
डब्ल्यूबीसी का निर्माण श्वेत अस्थि मज्जा/ वाइट बोन मैरो, थाइमस ग्रंथि ,टॉन्सिल, लसीका उत्तक द्वारा होता है।
डब्ल्यूबीसी का मुख्य कार्य एंटीबॉडी का निर्माण करना होता है तथा शरीर की प्रतिरक्षा में सहायता करता है डब्ल्यूबीसी दो प्रकार की होती हैं
1.ग्रेन्यूलोसाइट (कणिका युक्त डब्ल्यूबीसी )
2.एग्रेन्यूलोसाइट (कणिका विहिन डब्ल्यूबीसी)
डब्ल्यूबीसी का जीवनकाल 5 से 7 दिन होता है स्वस्थ मनुष्य में डब्ल्यूबीसी की संख्या 8000 से 11000 प्रति घन सेंटीमीटर होती हैं
आरबीसी और डब्ल्यूबीसी का अनुपात 600:1 होता है।

ल्यूकेमिया

डब्ल्यूबीसी कोशिकाओं में अनियंत्रित कोशिका विभाजन प्रारंभ हो जाता है जिससे डब्ल्यूबीसी की संख्या में वृद्धि होती हैं इसे ल्यूकेमिया कहा जाता है ल्यूकेमिया एक प्रकार का रक्त कैंसर है।

ल्यूकोसाईटोपिनिया

शरीर में डब्ल्यूबीसी की संख्या का कम होना ल्यूकोसाइटोपिनिया कहलाता है

ग्रेन्यूलोसाइट डब्ल्यूबीसी

ग्रेन्यूलोसाइट डब्ल्यूबीसी तीन प्रकार की होती हैं इयोसिनोफिल्स, बेसोफिल्स, न्यूट्रॉफिल्स

इयोसिनोफिल्स

केंद्रक दो भागों में विभाजित होता है अन्य नाम एसिडोफिल्स होता है। अम्लीय अभिरंजक जिसे इयोसिन कहा जाता है से रंग आता है। इयोसिनोफिल्स पर जीवो के संक्रमण से सुरक्षा करने का कार्य करता है एलर्जी संक्रमण से सुरक्षा करता है I इयोसिनोफिल्स एलर्जी की समय स्टेमाइन पदार्थ का निर्माण करती है।

बेसोफिल्स

केंद्रक तीन पालियों में विभाजित होता है क्षारीय अभिरंजक मिथाइल ब्लू से अभिरंजित किया जा सकता है।
बसोफिल्स निम्न पदार्थों का निर्माण करती है
हिस्टामिन
सेराटोनिन
न्यूट्रोफिल्स
किसी भी अभिरंजक से अभिरंजित किया जा सकता है । केंद्रक पांच पालियों में विभाजित होता है ।यह छोटे सूक्ष्म जीवाणु का भक्षण करती है

एग्रेन्यूलोसाइट्स डब्ल्यूबीसी

यह दो प्रकार की होती हैं मोनोसाइट और लिंफोसाइट। लिंफोसाइट पुनः दो प्रकार की होती हैं T-लिंफोसाइट और B- लिंफोसाइट
मोनोसाइट
सबसे बड़ी डब्ल्यूबीसी मोनोसाइट कहलाती है। मोनोसाइट को मेट्रोपोलिसमैन डब्ल्यूबीसी भी कहा जाता है क्योंकि यह बड़े आकार के जीवाणुओं में वायरस का भक्षण करती हैं
लिंफोसाइट
T-लिंफोसाइट
टी लिंफोसाइट का निर्माण बोन मैरो में होता है परंतु इसका संश्लेषण थाइमस ग्रंथि में होता है टी लिंफोसाइट का कार्य विशिष्ट प्रकार के एंटीबॉडी का निर्माण करना तथा विशिष्ट प्रकार की कोशिकाओं का निर्माण करना होता है जैसे- T- killer cells
T- natural cells
T-saprassers cells
B-लिंफोसाइट
बी लिंफोसाइट का निर्माण और संश्लेषण दोनों बोन मैरो में होता है ।बी लिंफोसाइट का मुख्य कार्य प्रतिरक्षी का निर्माण करना है
Note- एंटीबॉडीज का निर्माण प्लाज्मा सिरम भाग में भी होता है
सीरम
प्लाज्मा का वह भाग जहां रक्त कणिकाएं में प्रोटीन अनुपस्थित होती है सिरम कहलाती है

[c]. Platelets / बिम्बाणु/ पट्टिकाणु /थ्रोम्बोसाइट

स्तनधारी जीवो में प्लेटलेट्स को थ्रोंबोसाइट कहां जाता है । स्तनधारी जीवो के अतिरिक्त जीवों में प्लेटलेट्स को तर्कु कोशिकाएं यहां स्पिंडल सेल्स कहा जाता है। प्लेटलेट्स का निर्माण भी bone marrow में होता है बोन मैरो के मेगाकेरिसाइट से प्लेटलेट्स का निर्माण होता है। प्लेटलेट्स का कार्य रक्त का थक्का बनाने में सहायक है ब्लड क्लोटिंग में 13 कारक कार्य करते हैं ।प्लेटलेट्स का जीवनकाल 5 से 7 दिन होता है प्लेटलेट्स की संख्या 3 से 4.50 लाख प्रति घन मीटर होती है।
Note- सर्वाधिक रक्त का थक्का प्लेटलेट्स द्वारा होता है विटामिन k भी रूधिर का थक्का बनाता है। c++ आयन भी रक्त का थक्का निर्मित करने में सहायक है।
प्लेटलेट्स प्रोथ्रोम्बिन पदार्थ को थ्रोम्बिन में और अंततः थ्रोम्बस में परिवर्तित कर देती है इसी प्रकार फाइब्रिनोजेन पदार्थ को फाइब्रीन में परिवर्तित कर देती है जो चोट लगने वाले स्थान पर सक्रिय होकर तन्तुनुमा संरचना बना देता है।

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By admin

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