भारत का महान्यायवादी, महान्यायवादी क्या होता है Attorney General of India In Hindi 2022
भारत का महान्यायवादी Attorney General देश का सर्वोच्च विधि अधिकारी होता है भारतीय संविधान के अनुच्छेद 76 में महान्यायवादी पद की व्यवस्था की गई है। संविधान के अनुच्छेद 76 में महान्यायवादी की नियुक्ति कार्यों एवं सेवा शर्तों से संबंधित कुछ प्रावधानों का उल्लेख किया गया है।
भारत के महान्यायवादी की नियुक्ति एवं योग्यताएं appointment and qualifications
अनुच्छेद 76 के तहत महान्यायवादी की नियुक्ति राष्ट्रपति उच्चतम न्यायालय का न्यायाधीश नियुक्त होने योग्य किसी व्यक्ति को नियुक्त करता है। महान्यायवादी के लिए निम्न योग्यताएं होनी जरूरी है
- वह भारत का नागरिक हो
- उच्च न्यायालय में न्यायाधीश के पद के रूप में कम से कम 5 साल का अनुभव हो।
- किसी उच्च न्यायालय में 10 वर्षों तक वकालत करने का अनुभव रखता हो।
महान्यायवादी के कार्य व दायित्व
अनुच्छेद 76 (2) के तहत महान्यायवादी के कार्य निम्नलिखित हैं
- यह भारत सरकार को विधि से संबंधित सलाह देता है
- महान्यायवादी वह कार्य करेगा जो राष्ट्रपति उसे समय-समय पर सौंपता है और संविधान या किसी प्रचलित विधि के तहत उसे कोई कार्य सौंपा जाता है।
- महान्यायवादी न्यायालय में सरकार का पक्ष प्रस्तुत करता है। इसके अलावा महान्यायवादी भारत सरकार के विरुद्ध सर्वोच्च न्यायालय में लाए गए मामलों पर भारत सरकार की तरफ से न्यायालय में पक्ष रखेगा।
महान्यायवादी की शक्तियां
अनुच्छेद 76 (3) के तहत महान्यायवादी को भारत के राज्य क्षेत्र में सभी न्यायालय में सुनवाई करने का अधिकार प्राप्त है। महान्यायवादी को संसद के किसी भी सदन में या दोनों सदनों की संयुक्त बैठक की कार्यवाही में भाग लेने तथा बोलने का अधिकार दिया गया है। लेकिन संसद के सदनों में मत देने का अधिकार नहीं दिया गया।
पदावधि
अनुच्छेद 76 (4) के तहत वह राष्ट्रपति के प्रसादपर्यंत पद पर रहता है। महान्यायवादी का पद निश्चित नहीं है उसे राष्ट्रपति जब चाहे तब पद से हटा सकता लेकिन राष्ट्रपति के प्रसादपर्यंत होने का व्यवहारिक अर्थात मंत्रिपरिषद के प्रसादपर्यंत होने से है क्योंकि उसकी पदावधि के संबंध में निर्णय करना राष्ट्रपति का भी विवेकाधिकार नहीं है।
महान्यायवादी की सीमाएं
- यह भारत सरकार के खिलाफ कोई विश्लेषण नहीं कर सकता
- जिस मामले में महान्यायवादी को सरकार की ओर से पेश होना होता है उस मामले पर वह कोई टिप्पणी नहीं कर सकता।
- वह भारत सरकार की अनुमति के बिना किसी भी परिषद या कंपनी के निदेशक का पद ग्रहण नहीं कर सकता।
भारत के महान्यायवादी का कार्यकाल
भारत के महान्यायवादी का निश्चित कार्यकाल नहीं होता है। मैं राष्ट्रपति के प्रसादपर्यंत पद पर बना रहता है, संविधान में महान्यायवादी के कार्यकाल का कोई उल्लेख नहीं है।
महान्यायवादी का पद कहाँ से लिया है
महान्यायवादी का पद ब्रिटेन से लिया है
महान्यायवादी का वेतन
महान्यायवादी का वेतन ₹90000 प्रति माह होते हैं यह वेतन भारत के राष्ट्रपति द्वारा निर्धारित किया जाता है।