1773 का रेग्यूलेटिंग एक्ट [ व्यवस्थापन कानून ] 1773 regulating act

ब्रिटिश सरकार ने कम्पनी में व्याप्त भ्रष्टाचार एवं कुप्रशासन को दूर करने के लिए 10 जून, 1773 ई. को रेग्यूलेटिंग एक्ट [ भारतीय संविधान के विकास की प्रक्रिया का प्रथम चरण ] पारित किया। रेग्यूलेटिंग एक्ट ने एक ईमानदार शासन का आधारभूत सिद्धान्त निश्चित किया। इस एक्ट के प्रवर्तक तत्कालीन ब्रिटिश प्रधानमंत्री लॉर्ड नार्थ थे।

ईस्ट इंडिया कंपनी की ओर से लागू किया गया ‘1773 का रेग्यूलेटिंग एक्ट’ ब्रिटिश संसद से पारित पहला अधिनियम था तथा यह पहला अवसर था, जब ब्रिटिश संसद ने कंपनी के आन्तरिक मामलों में हस्तक्षेप किया। इस एक्ट के द्वारा ‘ब्रिटिश ईस्ट इंडिया कंपनी’ को राजनीतिक शक्ति के रूप में मान्यता मिली।

रेग्यूलेटिंग एक्ट के तहत् बंगाल के गवर्नर वॉरेन हेस्टिंग्स को बंगाल, मद्रास व बम्बई का ‘गवर्नर जनरल’ बना दिया तथा उसकी सहायता के लिए 4 सदस्यीय कार्यकारिणी का गठन किया गया। वारेन हेस्टिंग्स बंगाल का प्रथम गवर्नर जनरल था। इसी एक्ट के तहत् 1774 ई. में सर्वोच्च न्यायालय (सुप्रीम कोर्ट) की स्थापना ‘कलकत्ता’ (तत्कालीन नाम ‘फोर्ट विलियम’) में की गई जिसमें एक मुख्य न्यायाधीश के साथ तीन अन्य न्यायाधीश होते थे। सर्वोच्च न्यायालय के प्रथम मुख्य न्यायाधीश ‘सर एलिजा इम्प्रे’ को नियुक्त किया गया।

रेग्यूलेटिंग एक्ट 1773 ई. के द्वारा भारत में पहली बार कम्पनी के शासन के लिए एक लिखित संविधान प्रस्तुत किया गया तथा कम्पनी के कार्यों में ब्रिटिश संसद का हस्तक्षेप व नियंत्रण प्रारम्भ हुआ।

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