127 वां संवैधानिक संशोधन विधेयक , 2021 – Constitutional (127th) Amendment Bill, 2021 in Hindi
- लोकसभा और राज्यसभा ने क्रमश : 10 अगस्त और 11 अगस्त , 2021 को 127 वाँ संविधान ( संशोधन ) विधेयक , 2021 पारित किया । यह विधयेक राष्ट्रपति की अनुमति के पश्चात संविधान ( 105 वाँ ) संशोधन अधिनियम , 2021 बन जाएगा ।
- इसका उद्देश्य 5 मई , 2021 को सर्वोच्च न्यायालय के मराठा आरक्षण पर दिये निर्णय का प्रभाव समाप्त करके राज्य की अपनी ओबीसी सूची बनाने की शक्ति को बहाल करना है ।
127 वाँ संविधान ( संशोधन ) विधेयक , 2021 के प्रमुख बिंदु Key Points of the 127th Constitution (Amendment) Bill, 2021
- संविधान ( 102 वें ) संशोधन अधिनियम , 2018 ने संविधान में तीन नए अनुच्छेद अर्थात् अनुच्छेद 342 क , अनुच्छेद 366 ( 26 ग ) और अनुच्छेद 338 ख अंत : स्थापित किये गए थे ।
- अनुच्छेद 338 ख के तहत राष्ट्रीय पिछड़ा वर्ग आयोग का गठन किया गया था जबकि अनुच्छेद 342 क में सामाजिक और शैक्षणिक दृष्टि से पिछड़े वर्ग की सूची से संबंधित प्रावधान हैं ।
- इसी तरह अनुच्छेद 366 ( 26 ग ) में सामाजिक और शैक्षणिक दृष्टि से पिछड़े वर्गों को परिभाषित किया गया है ।
- सर्वोच्च न्यायालय ने महाराष्ट्र सरकार के मराठा आरक्षण को निर करते समय अपने निर्णय में संविधान ( 102 वें ) संशोधन अधिनियम , 2018 को वैध ठहराया था किंतु सर्वोच्च न्यायालय ने कहा था कि राष्ट्रपति द्वारा राष्ट्रीय पिछड़ा वर्ग आयोग ( एनसीबीसी ) की सिफारिशों के आधार पर ही यह निर्धारित होगा कि ओबीसी सूची में कौन से समुदायों को शामिल किया जाएगा । इस निर्णय से राज्य सरकारों की राज्य स्तर ओबीसी सूची बनाने की शक्ति चली गई । इस प्रकार इस संशोधन का उद्देश्य राज्य की अपनी ओबीसी सूची बनाने की शक्ति को पुनः बहाल करना है ।
- सरकार का तर्क है कि संविधान ( 102 वें ) संशोधन अधिनियम , 2018 का आशय सामाजिक और शैक्षणिक दृष्टि से पिछड़े वर्गों ( एसईबीसी ) की सिर्फ केंद्रीय सूची से था । उल्लेखनीय है कि 1993 में एसईबीसी की केंद्रीय सूची की घोषणा से पूर्व भी कई राज्यों / संघ राज्यक्षेत्रों की अन्य पिछड़े वर्गों की अपनी राज्य सूची / संघ राज्यक्षेत्र सूची है ।
- विदित है कि पिछड़े वर्गों की राज्य सूची या संघ राज्यक्षेत्र सूची में सम्मिलित जातियाँ या समुदाय एसईबीसी की केंद्रीय सूची में सम्मिलित जातियों या समुदायों से भिन्न हो सकते थे । इस संशोधन के पश्चात पुनः यही स्थिति बहाल हो जायेगी ।
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127 वाँ संविधान ( संशोधन ) विधेयक , 2021 के मुख्य प्रावधान Main provisions of the 127th Constitution (Amendment) Bill, 2021
- संविधान के अनुच्छेद 342 क के खंड ( 1 ) में , ” सामाजिक और शैक्षिक दृष्टि से ऐसे पिछड़े वर्गों को विनिर्दिष्ट कर सकेगा , जिन्हें इस संविधान के प्रयोजनों के लिये , ” शब्दों के स्थान पर , ” केंद्रीय सूची में सामाजिक और शैक्षिक दृष्टि से ऐसे पिछड़े वर्गों को विनिर्दिष्ट कर सकेगा , जिन्हें केंद्रीय सरकार के प्रयोजनों के लिये ” शब्द रखे जाएंगे । इसका अर्थ है कि राष्ट्रपति की एसईबीसी की सूची से संबंधित शक्ति का संबंध केंद्रीय सूची से है और राज्य की पृथक एसईबीसी सूची हो सकती है ।
- इस संशोधन द्वारा संविधान के अनुच्छेद 338 ख के खंड ( 9 ) में एक परंतुक अंत : स्थापित किया जायेगा कि इस खंड की कोई बात अनुच्छेद 342 क के खंड ( 3 ) के प्रयोजनों के लिये लागू नहीं होगी ।
- अनुच्छेद 342 क में ( 3 ) खंड जोड़ा जायेगा जिसमें प्रावधान किया जाएगा कि अनुच्छेद 342 क ( 1 ) और खंड ( 2 ) में अंतर्विष्ट किसी बात के होते हुए भी , प्रत्येक राज्य या संघ राज्यक्षेत्र अपने स्वयं के प्रयोजनों के लिये सामाजिक और शैक्षिक दृष्टि से पिछड़े वर्गों की एक सूची तैयार कर सकेगा और रख सकेगा , जिसमें प्रविष्टियाँ केंद्रीय सूची से भिन्न हो सकेंगी ।
- संविधान के अनुच्छेद 366 के खंड ( 26 ग ) के स्थान पर नया खंड रखा जाएगा , जिसमें “ सामाजिक और शैक्षिक दृष्टि से पिछड़े वर्गों ” से ऐसे पिछड़े वर्ग अभिप्रेत हैं , जिन्हें , यथास्थिति , केंद्रीय सरकार या राज्य या संघ राज्यक्षेत्र के प्रयोजनों के लिये अनुच्छेद 342 क के अधीन ऐसा समझा गया है । इसके तहत एसईबीसी की परिभाषा को केंद्र और राज्य सरकारों के संदर्भ अधिक स्पष्ट बनाया गया है ।
Q. भारतीय संविधान में कितने अनुच्छेद है 2021?
भारतीय संविधान में 22 भाग है तथा इसमे 395 अनुच्छेद एवं 12 अनुसूचियाँ हैं।