महाराणा कुंभा का इतिहास, महाराणा कुंभा का जीवन परिचय, बदनोर का युद्ध कब हुआ [Biography of Maharana Kumbha in hindi, birth, father, mother, daugter, son]
महाराणा कुंभा के पिता का नाम मोकल और माता का नाम सौभाग्यवती परमार था और इनका संरक्षक रणमल था। कुंभा ने रणमल की सहायता से अपने पिता की हत्या का बदला लिया इससे मेवाड़ में रणमल का प्रभाव बढ़ गया और बाद में रणमल ने सिसोदिया के नेता राघव देव ( चूण्डा का भाई ) हत्या करवा दी महाराणा कुंभा ने भारमली की सहायता से रणमल को मार दिया था।
पूरा नाम Full Name | महाराणा कुम्भा Maharan Kumbha |
अन्य नाम Other Names | महाराणा कुंभकरण |
जन्म | 1403 ईस्वी |
जन्म स्थान | चित्तौड़ दुर्ग |
मृत्यु वर्ष death | 1468 ईस्वी |
पिता का नाम Fathers Name | महाराणा मोकल |
माता का नाम Mothers Name | सौभाग्य देवी |
दादा का नाम | राणा लाखा |
पत्नी का नाम Wife | मीरा |
पुत्र/ पुत्रियाँ | उदयसिंह, राणा रायमल, रमाबाई |
शासन अवधि | 1433 से 1468 तक |
धर्म | हिन्दू |
राज्य | मेवाड़ |
आवल बावल की संधि ( 1453 )
आवल बावल की संधि 1453 ईस्वी में कुंभा और जोधा के मध्य हुई थी इस संधि के तहत जोधा को मारवाड़ दे दिया गया और सोजत को मेवाड़ व मारवाड़ की सीमा बनाया गया और कुंभा के बेटे रायमल की शादी जोधा की बेटी श्रंगार कवर से की गई
सारंगपुर का युद्ध
सारंगपुर का युद्ध 1437 ईस्वी में कुंभा और महमूद खिलजी ( मालवा ) के मध्य हुआ था, इस युद्ध का प्रमुख कारण महमूद खिलजी ने मोकल के हत्यारों को शरण दी थी। महाराणा कुंभा की इसमें जीत हुई तथा जीत की याद में चित्तौड़ में विजय स्तंभ का निर्माण करवाया।
बदनोर का युद्ध
इस युद्ध में कुंभा ने गुजरात एवं मालवा की संयुक्त सेना करा दिया था। यह युद्ध 1457 में लड़ा गया था
कुंभा की सांस्कृतिक उपलब्धियां
1 .स्थापत्य कला
कुंभा को राजस्थान की स्थापत्य कला का जनक कहा जाता है
विजय स्तंभ
- विजय स्तंभ के अन्य नाम कीर्ति स्तंभ, विष्णु स्तंभ, गरुड़ध्वज, मूर्तियों का अजायबघर, भारतीय मूर्तिकला का विशेष कोष
- विजय स्तंभ 9 मंजिला इमारत है जिसकी कुल लंबाई 122 फीट और चौड़ाई 30 फीट है।
- विजय स्तंभ की आठवीं मंजिल में कोई भी मूर्ति नहीं है
- विजय स्तंभ की तीसरी मंजिल में अरबी भाषा में 9 बार अल्लाह शब्द लिखा गया है
- विजय स्तंभ के वास्तुकार जेता पूंजा पोमा व नापा थे ।
- महाराणा स्वरूप सिंह ने विजय स्तंभ का पुनर्निर्माण करवाया था
- विजय स्तंभ राजस्थान पुलिस का प्रतीक चिन्ह है।
- विजय स्तंभ राजस्थान की प्रथम इमारत है जिस पर डाक टिकट जारी किया गया
- जेम्स टॉड ने विजय स्तंभ की तुलना क़ुतुब मीनार से की है
- फर्ग्यूसन ने विजय स्तंभ की तुलना रोम के टार्जन टावर से की
2. किले
कविराज श्यामल दास की पुस्तक वीर विनोद के अनुसार कुंभा ने मेवाड़ के 84 में से 32 किलो का निर्माण करवाया था
कुम्भलगढ़
कुम्भलगढ़ को मेवाड़ व मारवाड़ का सीमा प्रहरी कहा जाता है और इसके वास्तुकार मंडन थे, कुम्भलगढ़ प्रशस्ति में कुम्भा को धर्म एवं पवित्रता का अवतार बताया गया है जिसके लेखक कवि महेश है।
अचलगढ़
1452 में कुम्भा ने इसका पुनर्निर्माण करवाया था
3. मंदिर
चित्तोरगढ कुम्भलगढ़ और अचलगढ़ में कुंभा ने कुम्भ स्वामी मंदिर बनवाया
4. साहित्य
कुंभा एक अच्छा संगीतज्ञ था और इन के संगीत गुरु सारंग व्यास थे, कुंभा वीणा बजाया करते थे कुम्भा ने संगीत से संबंधित कई पुस्तकें लिखी थी जैसे
- सुधा प्रबंध
- कामराज रति सार
- संगीत सुधा
- संगीत मीमांसा
- संगीत राज
5. टिकाएं
- कुम्भा ने जय देव की गीत गोविंद पर रसिकप्रिया नाम से टिका लिखी थी
- महाराणा कुंभा ने सारंग देव की संगीत रचना पर टीका लिखी
- कुंभा ने चंडीशतक पर टिका लिखा
- कुंभा ने चार नाटक लिखे थे
- कुंभा मेवाड़ी , कन्नड़ व मराठी भाषाएं जानता था
महाराणा कुंभा के दरबारी विद्वान
- कान्हा व्यास
- मेहा जी
- मंडन
- नाता
- गोविंद
- रमाबाई – रमाबाई कुंभा की पुत्री थी और अपने पिता की तरह ही संगीत में रुचि रखती थी। वागीश्वरी रमाबाई की उपाधि थी।
- हीरानंद मूनि
- सोमदेव सूरी
- सोमसुन्दर सूरी
- जयशेखर
- भुवन कीर्ति
- तिला भट्ट
कुंभा ने आबू में दिलवाड़ा जाने वाले जैन यात्रियों का कर समाप्त कर दिया था
कुंभा की उपाधियां
- हिंदू सुरताण – मुस्लिम सेना को हराने के कारण
- अभिनव भरताचार्य – संगीत उपलब्धियों के कारण
- राणा रासौ – साहित्य
- हाल गुरु – पहाड़ी किलो को जीतने के कारण
- चाप गुरु – अच्छा धनुर्धर होने के कारण
- परम भागवत
- आदि वराह
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