सूचना प्रौद्योगिकी के प्रमुख साधन, सूचना प्रौद्योगिकी के लाभ, ई गवर्नेंस क्या है इसके प्रमुख उद्देश्य [Main tools of information technology, benefits of information technology, what is e-governance, its main objectives]
21वीं सदी का युग एक बहुत ही महत्त्वपूर्ण युग है। यद्यपि पिछली सदी लोक कल्याणकारी राज्य की अवधारणा के नाम रही किन्तु 21वीं सदी इससे भी आगे कदम बढ़ा चुकी है। आज का युग ई-गवर्नेन्स का युग है अर्थात् आज का समय ई-शासन का समय है। ई-शासन की अवधारणा यद्यपि आज भी अपनी नवजात अवस्था में ही है फिर भी यह अपने लक्ष्य की ओर सफलतापूर्वक कदम बढ़ा चुकी है।
सूचना प्रौद्योगिकी से तात्पर्य meaning of information technology
आज के आधुनिक युग में वह समय हवा हो चुका है जब सूचना हेतु परम्परावादी है उपायों का सहारा लिया जाता था, जैसे पैदल या घुड़सवार, व्यक्तिगत संदेशवाहक आदि। समय के साथ-साथ सूचना के तौर-तरीकों ने भी तरक्की की। आज सूचना तकनीक ने इतना विकास कर लिया है, जितना दो दशक पहले सोचा भी नहीं जा सकता था। साथ ही भारत में सूचना एवं तकनीक ने इतनी प्रगति करली है कि उसे सूचना एवं तकनीक में महाशक्ति कहा जाने लगा है।
सूचना प्रौद्योगिकी (Information Technology) से आशय एक ऐसी तकनीक से है, जिसके प्रयोग से विविध प्रकार की सूचनाओं एवं जानकारियों का अलग-अलग प्रारूपों में आदान-प्रदान, प्रसारण, वितरण एवं संकलन किया जा सके तथा इस संकलन से आवश्यकतानुसार एवं सुविधाजनक रूप से सूचनाएँ मिनटों में तो क्या, सैकण्ड्स में उपलब्ध हो सके। इसका सुपरिणाम यह है कि समय पर समुचित सूचना प्राप्त होने से समुचित कार्यवाही सम्भव है।
सरल शब्दों में सूचना तकनीक या सूचना प्रौद्योगिकी एक ऐसी तकनीक है, जिसके प्रयोग से तरह-तरह की सूचनाओं व जानकारी का नाना प्रारूपों में प्रसारण, आदान-प्रदान, संकलन एवं वितरण किया जा सके तथा इस आकलन से आवश्यकतानुसार एवं सुविधाजनक रूप से सूचनाएँ शीघ्र-अतिशीघ्र उपलब्ध हो सकें। सूचना तकनीक पर आधारित सूचना क्रांति के प्रारम्भिक कदम पिछले दशक में पड़े। इससे एक नए युग का सूत्रपात हुआ तथा कम्प्यूटर, सी.डी. रोम, ई-मेल एवं इन्टरनेट जैसे महत्त्वपूर्ण उपकरण एवं प्रणालियाँ मिल सकीं।
ई-गवर्नेन्स से आशय Meaning of e-governance
ई-शासन या ई-गवर्नेन्स से तात्पर्य सरकारी प्रशासनिक कामकाज (I.T.) का अधिक से अधिक इस्तेमाल करके शासन को अधिक कुशल, जवाबदेह, पारदर्शी एवं सरल बनाना है, ताकि सूचनाओं एवं जानकारी का यथाशीघ्र आदान-प्रदान होता रहे एवं जनता की आकांक्षाओं की पूर्ति होती रहे।
21वीं सदी में इस बात पर निरन्तर चर्चा होती रहती है कि किस प्रकार सूचना प्रौद्योगिकी का इस्तेमाल करके शासन तन्त्र अपने नागरिकों को बेहतर सेवा प्रदान कर सकते हैं। सरकार एवं लोक के मध्य सहभागी, सद्भावा, गहन सम्बन्धों की स्थापना, सरकारी ढर्रे में बदलाव आदि लक्ष्य ई-शासन के माध्यम से प्राप्त करने के प्रयास हो रहे हैं।
लगभग पिछले एक दशक से शासन में ई-शासन का प्रचलन इसकी लोकप्रियता के हिसाब से निरन्तर बढ़ रहा है। इसकी मूल अवधारणा आई. टी. अर्थात् सूचना तकनीक (Information Technology) के साथ जुड़ी हुई है। जब से मानव जाति ने सूचना तकनीक में कदम बढ़ाया है, तब से ही आकर्षित होकर प्रशासन ने अपने को भी I.T. के साथ संयुक्त करने अर्थात् सूचना तकनीक को अपनाने का निर्णय किया। आज सूचना तकनीक विकसित | होती अर्थव्यवस्था, कुशल शासन तथा मानव संसाधनों के विकास का आधार बन चुकी है।
सूचना प्रौद्योगिकी या ई-शासन के उद्देश्य Objectives of Information Technology or e-Governance
ई-शासन को जिस जोर-शोर से अपनाया जाता रहा है, उससे इसके महत्त्व का पता चल जाता है। ई-शासन सरकारी कामकाज में केवल कम्प्यूटरों के प्रयोग तक ही सीमित नहीं है, वरन् इसके और भी अनेक महत्त्वपूर्ण उद्देश्य हैं। ये निम्न प्रकार हैं
- ई-शासन तकनीकों का इस्तेमाल करके सुशासन (Good Governance) की अवधारणा को अमली जामा पहनाना
- सरकारी ढर्रे में गुणात्मक बदलाव लाना, जिससे प्रशासनिक कामकाज में अधिक खुलापन, जवाबदेही एवं पारदर्शिता सुनिश्चित हो सके।
- जन सहभागिता युक्त, भ्रष्टाचार मुक्त, जनहितैषी शासन तंत्र की स्थापना हो।
- प्रशासनिक पारदर्शिता एवं संवेदनशीलता के गुणों को प्रशासन के रोजमर्रा के कार्यों में समाविष्ट करके नागरिकों एवं प्रशासन के मध्य वृहद् सम्बन्धात्मक ढाँचे का विकास करना ।
- प्रशासनिक ढाँचे में संरचनात्मक बदलाव के साथ-साथ सरकारी कार्य प्रक्रिया में यथासंभव सुधार किया जा सके।कानून-कायदों एवं कार्य निपटान प्रक्रियाओं को सुगम एवं आसान बनाया जा सके।
इस प्रकार बड़े महत्त्वपूर्ण उद्देश्यों को लेकर ई-शासन प्रणाली का कार्यक्रम अपनाया गया है ताकि एक सुशासन की स्थापना संभव हो सके। ई-शासन में प्रशासन को जनता के प्रति कार्यकुशलता, मैत्रीपूर्ण एवं जवाबदेह बनाने हेतु बहुआयामी रणनीति अपनाई जा रही है। यह एक वास्तविकता भी है कि जटिल, रूढ़िवादी, संवेदनहीन एवं लालफीताशाही से ग्रस्त शासन तंत्र की जगह गतिमान, ऊर्जावान, शीघ्रगामी लोकतांत्रिक तथा जनाभिमुखी सरल प्रशासनिक अमले की स्थापना हो ।
सूचना प्रौद्योगिकी के प्रमुख साधन major tools of information technology
आधुनिक युग सूचना प्रौद्योगिकी का युग है, जिसका उपयोग करके शासन में तेजी एवं कुशलता का प्रयास किया जाता है। इसके प्रमुख साधन हैं—कम्प्यूटर, सी.डी. रोम, ई-मेल, फैक्स, इन्टरनेट, वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग, सेल फोन, ऑन-लाइन, हॉट लाइन आदि ।
वैब युग के इस जमाने में सूचना तकनीक के ढेरों साधन काम में लिए जाते हैं। तकनीकी उपलब्धता के आगे पुराने सूचना साधन, जैसे पैदल सन्देशवाहक, घुड़सवार आदि बहुत ही स्तरहीन प्रतीत होते हैं।
सूचना तकनीक का लोक प्रशासन पर प्रभाव Impact of Information Technology on Public Administration
जिन सूचना माध्यमों के बारे में आज से दो दशक पूर्व सोचा भी नहीं जा सकता था, उन साधनों ने आज लोक प्रशासन की काया पलट कर दी है। लोक प्रशासन में गुणात्मक परिवर्तन सम्भव हुआ है। संवेदनहीन तथा लालफीताशाही में जकड़ा लोक प्रशासन आज हमारे सामने एक नए रूप में हैं। इन प्रभावों को निम्न प्रकार से स्पष्ट किया जा सकता है
(1) उन्नत सूचना माध्यमों से समय पर सूचना प्राप्त होने से लोक प्रशासन के लिए समय पर कार्यवाही करना सम्भव हुआ है। इससे उसकी गुणवत्ता पर स्पष्ट प्रभाव देखा जा सकता है।
(2) पर्याप्त सूचना समय पर मिलने से लोक प्रशासन न केवल समय पर ही कार्यवाही करने में सक्षम होता है वरन् समुचित कार्यवाही भी वह कर पाता है। इससे उसकी क्षमता में सुधार को इंगित करता है।
(3) सूचना तकनीक के कारण आम जन की लोक प्रशासन में सीधी सहभागिता बढ़ी है। जनता जागरूक हो गई है। वह आगत-निर्गत के संदर्भ में समझदार हो गई है।
(4) सूचना तकनीक कारण जन-जाग्रति के चलते प्रशासन को जनाभिमुखी बनना पड़ा है।
(5) सरकारों को सूचना माध्यमों के कारण ही प्रशासन को जनता के द्वार पर ले जाना पड़ा है। प्रशासन गाँवों की ओर, प्रशासन शहरों की ओर आदि ।
(6) सूचना तकनीक के कारण लोक प्रशासन से सम्बन्धित अधिकारियों का बहुमूल्य समय बचता है तथा वे इस समय का सदुपयोग ज्यादा कार्य करने में कर सकते हैं।
(7) आज के उन्नत सूचना माध्यमों का कमाल है कि कुछ पैसे से महत्त्वपूर्ण सूचना कुछ सैकण्ड में बहुत दूर भेजना सम्भव हो गया है। इससे जल, थल, नभ मार्ग के सन्देशवाहक के खर्चों में बचत होना संभव हुआ है।
(8) सुशासन की भावना में बढ़ोत्तरी भी लोक प्रशासन पर सूचना तकनीक का ही प्रभाव है।
(9) सूचना तकनीक का ही यह महत्त्वपूर्ण प्रभाव है कि प्रशासन में पारदर्शिता ही नहीं बढ़ी है वरन् संवेदनशीलता में भी वृद्धि हुई है। प्रशासन संवेदनशील एवं पारदर्शी बना है। उसे सदैव जन-प्रतिक्रिया तथा सरकार के स्तर की प्रतिक्रिया का भय रहता है।
(10) रूढ़िवादिता तथा लाल फीताशाही में पर्याप्त कमी को भी देखा जा सकता है क्योंकि लोक प्रशासन से जुड़ी प्रत्येक संरचना कम्प्यूटरीकृत हो चुकी है।
(11) प्रशासन में जवाबदेही भी बढ़ी है क्योंकि विपक्ष भी जनमत को अपने पक्ष में मोड़ने हेतु इन्हीं साधनों का उपयोग करता है। इसलिए पक्ष को भी जवाबदेह बनना पड़ता है। इस प्रकार उपर्युक्त वर्णन से स्पष्ट है कि लोक प्रशासन पर सूचना तकनीक का व्यापक प्रभाव पड़ा है।
भारत में सूचना तकनीक एवं ई-गवर्नेन्स की प्रगति Progress of Information Technology and E-Governance in India
ई-गवर्नेन्स की शुरूआत, इसमें प्रौद्योगिकी के इस्तेमाल को देखकर, साथ ही इसके उद्देश्यों पर नजर डालने से स्पष्ट हो जाता है कि यह प्रणाली एक बहुत ही महत्त्व की प्रणाली है, विशेषकर लोकतांत्रिक एवं विकासशील राष्ट्रों के लिए। इसीसे प्रभावित होकर भारत ने भी इस प्रणाली को अपनाया। पिछले लगभग एक दशक से भारत को सूचना तकनीक से लैस करने एवं इस दिशा में भारत को एक महाशक्ति बनाने हेतु प्रयास किए जा रहे हैं ताकि देश के देश में एवं देश से बाहर आर्थिक एवं सामाजिक जीवन में सूचना प्रौद्योगिकी की संस्कृति का प्रचार एवं प्रसार हो सके।
भारत में शासन को ई-शासन में बदलने का एक महत्त्वपूर्ण प्रयास यह भी है कि अनेक राज्यों ने अपने नागरिकों को सूचनाएँ प्राप्त करने का अधिकार प्रदान करते हुए नागरिकों के लिए अधिकार पत्र जारी किए। राजस्थान में भी 26 जनवरी, 2001 को नागरिकों को सूचना का अधिकार अधिनियम लागू कर सूचना प्राप्ति का अधिकार प्रदान किया गया है। वास्तव में ई-शासन प्रणाली को अपनाने से सरकारी कार्यप्रणाली में कुशलता तो आई ही है, साथ ही जवाबदेयता निर्धारित करना भी आसान हो गया।
आम जनता से सीधे सम्बन्धित विभागों में इससे महत्त्वपूर्ण परिवर्तन भी सामने आए हैं। आम जन के छोटे-छोटे काम यथा राशन कार्ड, जन्म-मृत्यु प्रमाण-पत्र, आवेदन-पत्र, ड्राइविंग लाइसेंस, वाहन पंजीकरण, शिकायत पंजिका आदि ऑन लाइन होने से जीवन को सरल एवं सुविधाजनक बना दिया है। इसी कारण ‘प्रशासन शहरों के संग’ तथा ‘प्रशासन गाँवों के संग’ कार्यक्रम लागू हो सके हैं।
भारत में ई-शासन की प्रगति इससे भी जान पड़ती है कि भारत सरकार ने वर्ष 2001 को ई-शासन के रूप में मनाया। साथ ही वर्ष 2008 तक ‘सबके लिए आई.टी.’ का उद्देश्य रखा गया है। भारत सरकार द्वारा एक टास्क फोर्स भी बनाई गई, जो निर्णय लेने में सक्षम है। ई-शासन के तहत और भी कदम बढ़ाए गए हैं, जैसे- मंत्रालयों एवं विभागों की वेबसाइटें – जारी करना, राज्यों द्वारा सूचना तकनीक नीतियाँ घोषित करना, उच्चस्तरीय कार्य समिति का गठन करना, ई-शासन हेतु आधारभूत ढाँचा खड़ा करने हेतु बजट आवंटित करना आदि ।
यद्यपि यह भी एक महत्त्वपूर्ण तथ्य है कि ई-शासन को लागू करने में विभिन्न राज्यों में प्रगति भिन्न-भिन्न है । आन्ध्र प्रदेश, तमिलनाडु, कर्नाटक इस दिशा में अग्रणी रहे हैं। महाराष्ट्र, मध्यप्रदेश, राजस्थान, पश्चिमी बंगाल जैसे राज्यों ने ठोस इरादों के साथ इस दिशा में कदम बढ़ाया है।
फिर भी कहा जा सकता है कि आज भारत में ई-शासन के लिए ऐसे कदम उठाने की आवश्यकता है जिससे इसके लाभों को व्यापक जन समुदाय तक पहुँचाया जा सके तथा इसे जमीनी हकीकत में बदलने के लिए ठोस रणनीतियों का निर्माण किया जा सके। यह भी वास्तविकता है कि भारत में आज 21वीं सदी में ई-शासन अभी नवजात अवस्था में है। इसे वयस्क अवस्था तक पहुँचाने हेतु भागीरथ प्रयास करने होंगे।
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