एरिक्स सांप के लक्षण Symptoms of Erics Snake
1. यह मुख्यतया मरुस्थलीय प्रदेशों में रेत में छिपा पाया जाता है, यह छिपकली, मेंढ़क व चूहे खाता है।
2. इसे साधारणत: ‘वुमुही साँप’ या ‘सेण्ड बोआ’ (sand boa) भी कहते हैं।
3. शरीर मोटा, बेलनाकार लगभग 1 मीटर लम्बा होता है। इसकी ऊपरी सतह गुलाबी धूसरे भूरे धब्बों युक्त तथा अधर सतह पीली होती है।
4. शरी की पृष्ठ सतह पर छोटे-छोटे शल्क 40-50 पंक्तियों में उपस्थित होते हैं। अधर सतह पर शल्क चौड़े होते हैं।
5. शरीर सिर, धड़ व पूँछ में बँटा होता है। सिर अस्पष्ट एवं प्रोथ कुन्द होता है।
6. सिर पर एक जोड़ी छोटे-छोटे नेत्र पाये जाते हैं जिनमें तारा प्यूपिल (pupil) खड़ी होती है। नेत्र पर पलकों का अभाव होता है।
7. पूँछ का पश्च छोर मोटा सिर नुमा होता है। अत: इसे ‘दुमुही सर्प’ कहा जाता है।
8. यह एक विषहीन अहानिकारक सर्प होता है।
9. यह भारत में मुख्यतया राजस्थान में पाया जाता है। इसके अलावा यह श्रीलंका, अफ्रीका व एशिया में पाया जाता है।
हाइड्रोफिस के लक्षण Symptoms of Hydrophysis
1. यह समुद्र में पाया जाता है एवं मछलियों को खाता है।
2. इसे साधारणत: ‘समुद्री सर्प’ (Sea snake) कहते हैं। यह लगभग 2 मीटर लम्बा होता है।
3. शरीर का समान्य रंग पृष्ठ सतह पर गहरा जैतूनी हरा (olive green) होता है जिस पर पीताभ आड़ी धारियाँ पायी जाती है। कुछ का रंग नीला भी होता है तथा इस गहरे रंग की पट्टियाँ पायी जाती है। अधर सतह पर सफेद रंग की होती है।
4. सिर छोटा एवं अस्पष्ट होता है तथा बड़े-बड़े प्रशल्कों (shields) द्वारा ढ़का होता है।
5. सिर पर लोरिया शल्क अनुपस्थित होता है। एक नेत्र पूर्वी प्रशल्क, दो नेत्र पश्चीय और 7 से 8 अधिओष्ठीय प्रशल्क पाये जाते हैं जिनमें से तीसरा व चौथा ओष्ठीय प्रशल्क आँख को छूते हैं। अधर सतह के शल्क के छोटे होते हैं।
6. सिर पर एक जोड़ी छोटी-छोटी आँखें पायी जाती है। आँखें में तारा या प्यूपिल (pupil) गोल होता है।
7. सम्पूर्ण शरीर पर छोटे-छोटे शल्क पाये जाते हैं।
8 पूँछ पार्श्वतः सम्पीडित होती है। तथा तैरने में पैडल का कार्य करती है।
9. विष दन्तों के पीछे 14-18 मैक्सिलरी दाँत पाये जाते हैं।
10. यह बहुत जहरीला सर्प होता है। इसका विष तंत्रिका तंत्र पर असर करता है।
11. यह भारत, मेक्सिको, दक्षिणी अफ्रीका, मलाया द्वीप समूह एवं बंगाल की खाड़ी में पाया जाता है।
नाजा के लक्षण symptoms of naja
1. यह काले रंग का विषेला सर्प है जो मिट्टी में बिल बनाकर रहता है। यह नाग या कोबरा (cobra) के नाम: से जाना जाता है।
2. देह काले भूरे रंग की व सामान्य लम्बाई 6 फीट तक होती है।
3. देह का समान प्रकार के चिकने शल्क पृष्ठ सतह पर एवं अधर सतह पर अनुप्रस्थ प्लेट समान शल्क पाये जाते हैं। पुच्छ शुण्डाकार व बेलनाकार होती है।
4. यह दिनचर जंतु पत्थरों के नीचे वनस्पति के निकट बिल में रहता है।
5. सिर पर पृष्ठतः छोटे शल्क व अग्र सिरे की ओर बड़े शल्क पाये जाते हैं। ऊपरी होठ के निकट का तीसरा शल्क बड़ा होता है। एवं नेत्र को छूता है। सिर छोटा एवं अस्पष्ट होता है जिस पर 1 जोड़ी नेत्र, गोल तारे युक्त व नासा छिद्र उपस्थित होते हैं।
6. ऊपरी जबड़े में एक जोड़ी तीखे मुड़े हुए दन्त जिन्हें फेंग्स (fangs) कहते हैं। प्रत्येक मैक्सीला के निकट एक विष ग्रन्थि होती है जिससे विष नलिका निकल कर दन्त में प्रवेश करती है।
7. ग्रीवा की पसलियाँ पार्श्वत: फैल कर त्वचा का छज्जा या फन (hood) बना सकती है। फन पर एनक या U समान चिन्ह कुछ जातियों में पाया जाता है।
8. यह अत्यन्त विषैला सर्प है। छेड़े जाने पर सिर उठाकर, फन फैला कर एवं नासाछिद्र से फुफकार कर काट लेता है। समय पर चिकित्सा न होने से मृत्यु हो सकती है। वैसे यह चूहे, मेंढ़क, छिपकली व अन्य सर्पों का भोजन करता है। इसका विष तंत्रिकाओं को प्रभावित करता है।
9. यह अण्डे देता है। मादा एक बार में छः अण्डे देती है।
10. इसके विष से औषधियाँ व त्वचा से जूते आदि बनाये जाते हैं।
वाइपर के लक्षण Symptoms of Viper
1. यह चट्टानी व झाड़ियों वाले प्रदेशों में पाया जाता है। यह चूहे, छिपकलियाँ एवं चिड़ियों को खाता है।
2. इसे हिन्दी में साधारणत: डोबिआ सर्प या ‘घोसण’ कहते हैं। यह विषैला सर्प है व गर्तहीन वाइपर के नाम से जाना जाता है।
3. शरीर मोटा लगभग 1.5 से 2 मीटर लम्बा होता है।
4. सिर बड़ा, चपटा एवं त्रिभुजाकार होता है। यह छोटे-छोटे शल्कों द्वारा ढका रहता है। सिर पर पृष्ठतः “V” की आकृति का चिन्ह पाया जाता है।
5. शरीर भूरे रंग का होता है किन्तु वातावरण के अनुसार विविध रंगों का भी हो सकता है।
6. पृष्ठ तल के शल्क पट्टिका सदृश्य होते हैं अधर तल के शल्क अपेक्षाकृत बड़े होते हैं तथा अनुप्रस्थ पट्टिकाओं में विन्यासित होते हैं। शीर्ष छोटे व नोतल युक्त शल्कों से ढ़का होता है।
7. आधिओष्ठीय प्रशल्क 10 से 12 होते है। चौथा अधिओष्ठीय शल्क सबसे बड़ा होता है तथा यह आँख तक नहीं पहुँचता है।
8. शीर्ष पर एक चौड़ा मुख, एक जोड़ी बड़े नासाछिद्र तथा एक जोड़ी आँखें पायी जाती है। आँखों के किनारे सफेद होते हैं तथा आइरिस (iris) सुनहरे रंग का होता है। नेत्र व नासा छिद्रों के मध्य गर्त नहीं पायी जाती।
9. आँखों का तारा या प्यूपिल (pupil) अण्डाकार होता है।
10. ऊपरी जबड़े की मैक्सिला (maxilla) अस्थि पर एक जोड़ी लम्बे नलिका युक्त पैने विष दन्त (fangs) पाये जाते हैं। विश्राम की स्थिति में विषदन्त मुख की छत की ओर मुड़े रहते हैं। यह एक जहरीला सर्प होता है।
11. यह यूरोप, एशिया, श्रीलंका, बर्मा व भारत में पाया जाता है।
बंगेरस (Bangarus) के लक्षण Symptoms of Bangarus
1. यह साधारणतया दीवारों की दरारों, लकड़ी के लट्ठों एवं प्रत्थरों के नीचे पाया जाता है। यह रात्रिचर होता है तथा छोटे साँप, चूहे व मेंढ़क आदि खाता है।
2. इस साधारणतया क्रेत (Krait) भी कहते हैं।
3. शरीर बेलनाकार एवं लगभग एक मीटर लम्बा होता है
4. शरीर का रंग गहरे नीले रंग का होता है। इस पर सफेद अनुप्रस्थ पट्टियाँ पायी जाती है। ये पट्टियाँ नीले रंग की पट्टियों के एकान्तर पर पायी जाती है।
5. शरीर की मध्य पृष्ठ सतह पर बीचों-बीच एक पंक्ति में बड़े विशिष्ट षट्भुजाकार शल्क (hexagonal scales) पाये जाते हैं।
6. अधरीय शल्क अनुप्रस्थ पट्टिकाओं के रूप में पाये जाते हैं जो संख्या में 194-234 होते हैं। पूँछ पर 42-52 शल्क पाये जाते हैं। शरीर को ढकने वाले शल्क चिकने व छोटे होते हैं जो 13-17 पंक्तियों में विन्यासित होते हैं।
7. इसमें लोरियल (loreal) प्रशल्क अपुपस्थित होता है। चौथा अधर ओष्ठीय शल्क (4th infra-labial scale) अन्य ओष्ठीय शल्कों की तुलना में बड़ा होता है।
8. सिर एवं ग्रीवा में अन्तर नहीं होता, विषदन्त (fangs) छोटे होते हैं। नेत्र सामान्य होते हैं तथा इनमें उपस्थित तारा (pupil) वृत्ताकार होता है।
9. यह बहुत जहरीला साँप होता है। नाजा की तुलना में इसका विष अधिक घातक होता है।
10. यह अण्डे देता है तथा मादा अण्डों को ‘पैतृक रक्षण’ प्रदान करती है।
11. यह दक्षिणी पूर्वी एशिया, सम्पूर्ण भारत एवं मलाया में पाया जाता है।