संसदीय समितियाँ

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संसदीय समितियाँ – संसद को जटिल व अधिक मात्रा में कार्य करना पड़ता है अत : प्रशासनिक कार्यों पर निगरानी रखने हेतु विभिन्न समितियों की आवश्यकता होती है जिसमें सम्पूर्ण सदन का विश्वास हो इन समितियों को संसदीय समितियाँ कहते हैं ।

संसदीय समितियों के प्रकार types of committees

संसदीय समितियों को दो भागों में बांटा जाता है

( 1 ) स्थायी समिति

यह लम्बे समय के लिए कार्य करती हैं ।

( 2 ) तदर्थ समिति

यह विशिष्ट उद्देश्य की पूर्ति होने के बाद स्वत : ही समाप्त हो जाती है ।

Note – सांसदों के वेतन व भत्ते से सम्बन्धी समितियों को छोड़कर शेष सभी समितियों का गठन लोकसभा का अध्यक्ष करता है ।

प्रमुख संसदीय समितियाँ Major Parliamentary Committees

 

1. लोक लेखा समिति (PAC) public accounts committee

  • यह एक वित्तीय एवं स्थायी समिति ( सबसे पुरानी ) है ।
  • इस समिति की स्थापना 1919 के अधिनियम के तहत् 1921 में की गई थी ।
  • इस समिति में कुल 22 सदस्यीय होते हैं , जिसमें 15 सदस्य लोकसभा एवं 7 सदस्य राज्यसभा से प्रतिवर्ष संसद सत्र के प्रारम्भ में आनुपातिक प्रतिनिधित्व की एकल संक्रमणीय मत पद्धति द्वारा निर्वाचित किये जाते हैं , जिन सदस्यों का कार्यकाल एक वर्ष होता है ।
  • लोक लेखा समिति का अध्यक्ष लोकसभा अध्यक्ष द्वारा मनोनीत होता था , परन्तु 1967 से विपक्षी दल का नेता अध्यक्ष होता है ।

Note – इसे ‘ प्राक्कलन समिति की जुड़वाँ बहन ‘ कहा जाता है ।

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लोक लेखा समिति के कार्य Functions of Public Accounts Committee

  • यह समिति अपनी कार्यवाही एक न्यायालय के समान करती है ,
  • सार्वजनिक धन के व्यय का निरीक्षण करती है।
  • यह समिति CAG [ नियंत्रक एवं महालेखा परीक्षक ] के प्रतिवेदन को जाँच का आधार बनाती है तथा सरकार के सभी वित्तीय लेन – देन सम्बन्धी खातों की जाँच , समीक्षा एवं भारत सरकार के विभिन्न भागों पर नियंत्रण रखती है ।
  • धन विधेयक पर किए गए खर्च की तथा समिति नियंत्रक एवं महालेखा परीक्षक की रिपोर्ट की भी जाँच करती है ।

2. प्राक्कलन समिति Estimates Committee

  •  प्राक्कलन समिति संसद की सबसे बड़ी स्थायी समिति है जिसका उद्भव भी 1921 में लोक लेखा समिति के पश्चात् हुआ लेकिन नियमित रूप से गठन स्वतन्त्रता के पश्चात् 1950 में तत्कालिन वित्त मंत्री जॉन मथाई की सिफारिश पर किया गया ।
  • यह पूर्णरूपेण लोकसभा की समिति है जिसमें कुल 30 सदस्य है ।
  • इस समिति का अध्यक्ष लोकसभा का उपाध्यक्ष होता है यदि वह इस समिति का सदस्य हो अन्यथा लोकसभा अध्यक्ष द्वारा मनोनीत व्यक्ति इसका अध्यक्ष होता है ।
  • सदस्यों का निर्वाचन आनुपातिक प्रतिनिधित्व की एकल संक्रमणीय मत पद्धति द्वारा किया जाता है , जिनका कार्यकाल एक वर्ष होता है ।
  • इसे स्थायी , मितव्ययता समिति या अनुमान समिति के नाम से भी जाना जाता है क्योंकि यहाँ प्राक्कलन समिति अनुदानों की मांगों पर चर्चा करती है , वहीं लोक लेखा समिति सरकारी खर्च के व्यय की जाँच करती है ।

प्राक्कलन समिति के कार्य Estimates Committee Functions

  • यह समिति वार्षिक अनुदानों की जाँच करती है तथा सरकारी अपव्यय को रोकने की सिफारिश करती है ।
  • प्रशासन में कुशलता एवं मितव्ययता लाने हेतु वैकल्पिक नीतियों का सुझाव देती है और विभागीय व्यय और अनियमितताओं पर निगरानी का कार्य ( रखवाले कुत्ते का कार्य करती है ।

 3. कार्यमंत्रणा समिति business advisory committee

  •  इस समिति में अध्यक्ष सहित लोकसभा से 15 सदस्य तथा राज्यसभा से 11 सदस्य होते हैं , जिनका मनोनयन किया जाता है ।
  • इस समिति का अध्यक्ष लोकसभा अध्यक्ष होता है ।
  • समिति का कार्यकाल अनिश्चित लेकिन व्यवहार में प्रतिवर्ष नई समिति का गठन किया जाता है । अर्थात् इसका अस्तित्व संसद में कभी समाप्त नहीं होता है ।

कार्यमंत्रणा समिति के कार्य Functions of Business Advisory Committee

  • लोकसभा की प्रक्रिया एवं कार्य संचालन के नियमों पर विचार करना तथा सदन के कार्यक्रमों का निर्धारण करना ।

4. नियम समिति rules committee

  • लोकसभा में 15 सदस्य तथा राज्यसभा में 15 सदस्य होते हैं ।
  • अध्यक्ष या उपसभापति इसका पदेन अध्यक्ष होता है ।

नियम समिति के कार्य Functions of the Rules Committee

  • संसदीय कार्यवाही व विधानों पर विचार करना तथा नियमों में संशोधन एवं नये नियमों की सिफारिश करना ।

5. विशेषाधिकार समिति privilege committee

  • संसदीय विशेषाधिकार समिति में लोकसभा के 15 व राज्यसभा के 10 सदस्य होते हैं ।
  • दोनों सदनों की अलग – अलग समिति होती है । इस समिति में प्रधानमंत्री एवं विधि मंत्री दोनों शामिल होते हैं ।

विशेषाधिकार समिति के कार्य Functions of Committee of Privileges

  • सदस्यों के विशेषाधिकारों के हुए अतिक्रमण की जाँच करना ।

6. गैर सरकारी सदस्यों के विधेयकों से सम्बन्धित समिति Committee on Private Members’ Bills

  • इस समिति में भी कुल 15 सदस्य होते हैं जो लोकसभा अध्यक्ष द्वारा मनोनीत होते हैं एवं इनका कार्यकाल एक वर्ष होता है ।
  • लोकसभा का उपाध्यक्ष सभापति होता है ।
  • गैर – सरकारी सदस्यों के विधेयकों से संबंधित समिति के कार्य व्यक्तिगत विधेयकों द्वारा प्रस्तावित विधेयकों का परीक्षण करना ।

7. प्रवर समिति select committee

  • इसका गठन लोकसभा एवं राज्यसभा में अलग अलग तथा संयुक्त भी किया जाता है।
  • अलग – अलग गठन होने पर सदस्यों की संख्या 30 होती है जबकि संयुक्त समिति में कुल 45 सदस्य ( 30 लोकसभा से एवं 15 राज्यसभा से) होते हैं ।

प्रवर समिति के कार्य Select Committee Functions

  • किसी विधेयक पर गहन विचार विमर्श करना ।

8. याचिका समिति petition committee

  • लोकसभा के 15 सदस्य तथा राज्यसभा के 10 सदस्य होते हैं ।
  • लोकसभा का उपाध्यक्ष यदि इसका सदस्य है तो वही इसका अध्यक्ष बन जाता है ।
  • इसे जनता की न्यायिक समिति कहा जाता है , यही एकमात्र समिति है , जो जनता को संसद से सीधे जोड़ती है ।

याचिका समिति के कार्य Functions of the petitions committee

  • याचिकाओं का परीक्षण कर उसमें की गई याचिकाओं की सूचना लोकसभा को देना

9. सहकारी उपक्रम समिति cooperative undertaking society

  • यह समिति 1964 में कृष्ण मेनन समिति के सुझाव पर बनायी गयी थी ।
  • इस समिति में वर्तमान में कुल 22 सदस्य ( 15 लोकसभा सदस्य व 7 राज्यसभा सदस्य ) है ।
  • अन्य स्थायी समितियों की तरह इस समिति के सदस्य भी संसद सदस्यों में से संसद सदस्यों के द्वारा एकल संक्रमणीय मत पद्धति से एक साल के लिए चुने जाते हैं तथा समिति के अध्यक्ष का चुनाव लोकसभा अध्यक्ष समिति सदस्यों में से करता है ।
  • इस समिति की सिफारिश पर सार्वजनिक उपक्रमों को स्वायतत्ता प्रदान की गई थी और वर्ष 1997 में नवरत्न व महारत्न जैसी संकल्पनाएँ सामने आई ।
  • इस समिति का अध्यक्ष केवल लोकसभा सदस्य बन सकता है अर्थात् राज्यसभा का सदस्य इस समिति का सभापति नहीं बन सकता है ।

इस समिति का मुख्य कार्य

  •  ( संचित निधि अनु . 266 ) की जाँच करना है ।
  • यह समिति CAG ( नियंत्रक एवं महालेखा परीक्षक ) की जाँच कर सकती है । लेकिन यह समिति दैनिक प्रशासन सम्बन्धी व सरकारी नीति के मामलों की जाँच नहीं कर सकती ।

10. विभागीय स्थायी समिति Departmental Standing Committee

  • लोकसभा नियमावली की सिफारिश के आधार पर 1993 में 17 विभागीय समितियों का गठन किया गया था तथा 2004 के पश्चात् इन समितियों की संख्या बढ़ाकर 24 कर दी गई है जिनमें 8 राज्यसभा के अन्तर्गत व 16 लोकसभा के अन्तर्गत कार्य करती है ।
  • लोकसभा के अन्तर्गत आने वाली समितियों के अध्यक्ष का चुनाव लोकसभा अध्यक्ष व राज्यसभा के अन्तर्गत आने वाली समितियों का चुनाव राज्यसभा के सभापति के द्वारा किया जाता है ।
  • इन समितियों का मुख्य कार्य विभिन्न मंत्रालयों की जाँच करना है जो संसद के प्रति कार्यपालिका की जवाबदेही को सुनिश्चित करने के उद्देश्य से रखा गया है ।

अनुच्छेद 249 संसद को राज्य सूची के किसी विषय पर विधान बनाने की शक्ति देता है।

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