वह चिड़िया जो - कवि केदारनाथ अग्रवाल

कवि केदारनाथ अग्रवाल ने बताया है कि उसके स्वभाव में नीले पंखोंवाली एक छोटी चिड़िया है। वह संतोषी है, अन्न से बहुत प्यार करती है, वह अपनेपन के साथ कंठ खोलकर पुराने घने वन में बेरोक गाती है, मुँहबोली है, एकांत में भी उमंग से रहती है। वह उफनती नदी के विषय में जानकर भी जल की मोती-सी बूँदों को चोंच में भर लाती है। उसे स्वयं पर गर्व है। वह साहसी है। उसे नदी से लगाव है। कवि ने अपने भीतर की कल्पित चिड़िया के माध्यम से मनुष्य के महत्त्वपूर्ण गुणों को उजागर किया है।

वह चिड़िया जो – कवि केदारनाथ अग्रवाल

“वह चिड़िया जो

चोंच मारकर

दूध-भरे जुंडी के दाने

रुचि से, रस से खा लेती है

वह छोटी संतोषी चिड़िया

नीले पंखोंवाली मैं हूँ

मुझे अन्न से बहुत प्यार है।”

“वह चिड़िया जो

कंठ खोलकर

बूढ़े वन- बाबा की खातिर

रस उँडेलकर गा लेती है

वह छोटी मुँह बोली चिड़िया

नीले पंखोंवाली मैं हूँ

मुझे विजन से बहुत प्यार है।”

 

“वह चिड़िया जो

चोंच मारकर चढ़ी

नदी का दिल टटोलकर

जल का मोती ले जाती है

वह छोटी गरबीली चिड़िया

नीले पंखोंवाली मैं हूँ

मुझे नदी से बहुत प्यार है।”

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