राजस्थान और पर्यटन, राजस्थान में पर्यटन पर निबंध ESSAY ON RAJASTHAN TOURIST PLACES IN HINDI
राजस्थान वह रंगीला प्रदेश है जो इतिहास में न केवल अपने शृंगार व शौर्य के कारण महत्त्वपूर्ण स्थान रखता है बल्कि संस्कृति, इतिहास और प्राकृतिक सुंदरता में भी अपनी समृद्धता दर्शाता है। सैकड़ों किलोमीटर तक फैले बालू रेत के टीले दाँतों तले अंगुली दबाने को विवश कर देने वाले अद्भुत किले कलात्मक राजप्रासाद और हवेलिया प्रत्येक की अपनी अनूठी वास्तुशिल्प संरचना है और अपनी एक अलग गाथा पहाड़ियों के बीच बने बगीचे और झोले पर्यटकों का मन मोहने में कोई कसर नहीं छोड़ते।
राजस्थानी संस्कृति में लोक नृत्य और लोक संगीत की अपनी अलग जगह है। यहाँ के लोकगीतों में जहाँ देवी देवताओं का स्मरण किया जाता है वहीं प्रेम और शृंगार को भी प्रधानता दी जाती है। अपने उल्लासपूर्ण लोक नृत्यों व संगीत, गाथाओं व भव्य उत्सवों के कारण यह भूमि जोवत हो उठती है। यहाँ की शामें उस समय अभिभूत करने वाली होती है, जब झिलमिलाती रेल के एकांत से गूंजती सुरीली चुने हवा में तैरती हैं। जैसलमेर एवं बाड़मेर क्षेत्र के लंगा एवं मांगणियार जाति के लोक कलाकार आज पूरे विश्व में प्रसिद्धि पा रहे हैं।
राजस्थान की समृद्ध कला और हस्तशिल्प विविधताओं से भरे बाजार, मनमोहक रंग-बिरंगे परिधानों से सजे यहाँ के निवासी मध्ययुग की परम्परा को जीवंत बनाए प्रतीत होते हैं। यातायात के क्षेत्र में यहाँ आधुनिक और परम्परा का मिश्रण देखा जा सकता है। आधुनिक बसों और कारों ने यहाँ की सड़कों पर अपना महत्त्वपूर्ण स्थान बना लिया है फिर भी पारम्परिक साधन ऊँट, गाय-बैल और घोड़े भी कहीं कहीं यातायात में पहचान बनाए हुए हैं। हैं प्राचीन आकर्षक और कलात्मक मंदिर राज्य में सर्वत्र देखे जा सकते हैं। इन मंदिरों में से कुछ विभिन्न मतावलंबियों के लिए तीर्थस्थल की ख्याति पा रहे हैं।
राजस्थान में सभी धर्मावलम्बियों को आश्रय मिला है और यहाँ की धरा पर सभी धर्मों के लोग परस्पर सहयोग से रहते हैं। यहाँ के निवासियों के वन्य प्रेम के कारण ही थार रेगिस्तान व सूखे उजाड़ जंगलों के शुष्क क्षेत्र अद्भुत आश्रयस्थल हैं जिसमें वनस्पति व जीव-जन्तुओं की भाँति-भाँति की किस्में हैं। यहाँ कई उत्कृष्ट राष्ट्रीय पार्क व वन हैं। राजस्थान अपने उत्कृष्ट लघु चित्रों व भित्ति चित्रों के लिए भी प्रसिद्ध है तथा चित्ताकर्षक राजस्थानी कपड़े व आभूषण तथा सुन्दर हस्तशिल्प की कलाकृतियों से सुसज्जित अनेक वस्तुएँ यहाँ की यादों को हमेशा ताजा कर देती हैं।
राजस्थान के प्रमुख पर्यटक नगर व स्थलों का संक्षिप्त परिचय निम्न प्रकार है
अजमेर Ajmer
राजा अजयमेरु चौहान ने सातवीं शताब्दी में अजमेर शहर की स्थापना की थी। यहाँ की सूफी संत ख्वाजा मुइनुद्दीन चिश्ती की दरगाह शरीफ विशेष रूप से विश्व प्रसिद्ध है। अजमेर से ।। किलोमीटर दूर पुष्कर में भगवान ब्रह्मा का पूरे विश्व में एकमात्र मन्दिर हैं। अजमेर के प्रमुख दर्शनीय स्थलों में अढ़ाई दिन का झोंपड़ा, तारागढ़ का संग्रहालय, दरगाह ख्वाजा साहिब, शाहजहाँ की मस्जिद, मेयो कॉलेज, आना सागर व फायसागर आदि हैं।
बीकानेर
राठौड़ राजकुमार राव बीकाजी ने इस राज्य की नींव 1488 ई. में रखी थी यहाँ के प्रमुख पर्यटक स्थलों में जूनागढ़, लालगढ़ महल, गंगा गोल्डन जुबली संग्रहालय, देशनोक का करणी माता मन्दिर, कोलायत आदि हैं।
चित्तौड़गढ़
यहाँ को रानी पद्मिनी अत्यन्त रूपवती थी। 1303 ई. में मुगल शासक अलाउद्दीन खिलजी ने दर्पण में रानी का प्रतिबिम्ब देखा और सम्मोहित कर देने वाले उसके सौन्दर्य से मोहित होकर उसे पाने के लिए लालायित हो गया। इस पर उसने चित्तौड़ पर आक्रमण कर दिया। लेकिन रानी पद्मिनी ने इस लज्जा से बचने के लिए किले की अन्य महिलाओं के साथ स्वयं को अग्नि में समर्पित कर दिया। यहाँ के प्रमुख दर्शनीय स्थलों में किला, विजय स्तम्भ, राणा कुम्भा का महल, पद्मिनी का महल, मीराबाई का मंदिर, देवगढ़, मेनाल, साँवरियाजी का मन्दिर आदि हैं।
जयपुर
महाराजा सवाई जयसिंह द्वितीय द्वारा 1727 ई. में जयपुर शहर की स्थापना की गई थी। यह पिंकसिटी व गुलाबी नगर के नाम से विश्व भर में प्रसिद्ध है। यह नगर अपने आप में असाधारण सामंजस्य व वास्तुशिल्पीय गौरव को व्यक्त करता है। यहाँ के प्रमुख दर्शनीय स्थलों में सिटी पैलेस, जंतर-मंतर, हवामहल, गोविन्ददेवजी का मन्दिर, ईसर लाट, अलबर्ट हॉल, सिसोदिया रानी का बाग, आमेर, जयगढ़, नाहरगढ़ आदि हैं।
जैसलमेर
थार रेगिस्तान के बीच से उगता हुआ प्रतीत होता, जैसलमेर शहर एक स्वर्णिम मरीचिका की तरह है। डूबता हुआ सूरज जैसलमेर को जब एक आकर्षक सुनहरे मटमैले रंग में बदल देता है तब यह दृश्य इतना लुभावना व मोहक होता है कि देखने वाला एक पल के लिए भी अपनी पलकें नहीं झपका पाता है। यहाँ के प्रमुख दर्शनीय स्थलों में किला, ताजिया टावर, पटवों की हवेली, सम बालू के टीले, राष्ट्रीय मरु उद्यान, गड़सीसर झील, रामदेवरा, पोकरण आदि है।
जोधपुर
मारवाड की शान के रूप में पहचाने जाने वाले जोधपुर की स्थापना सन् 1459 में राव जोधा ने की थी। इसे ‘सूर्यनगरी’ के नाम से भी जाना जाता है। यहाँ के प्रमुख पर्यटन स्थलों में मेहरानगढ़ किला, जसवंत थड़ा, उम्मेद भवन पैलेस, गिरदीकोट, बालसमंद झील, मंडोर, कायलांना झोल आदि हैं।
उदयपुर
उदयपुर नगर की स्थापना महाराणा उदयसिंह ने सन् 1559 में की थी। यह ने शहर झीलों के चारों ओर व हरी-भरी अरावली पहाड़ियों की गोद में है। यहाँ के प्रमुख दर्शनीस स्थलों में सिटी पैलेस, जगदीश मन्दिर, सहेलियों की बाड़ी, प्रताप स्मारक, फतेह सागर, पिछोला झील लेक पैलेस, गुलाब बाग आदि हैं। उदयपुर के आसपास के क्षेत्र में देखने योग्य अनेक स्थान हैं। इनमें चित्तौड़गढ़, कुंभलगढ़ का पर्वतीय गढ़, रणकपुर के सुन्दर जैन मंदिर, एकलिंगजी व नाथद्वारा के मंदिर आदि हैं।
इन नगरों के अलावा अलवर, बाड़मेर, बांसवाड़ा, भरतपुर, बूंदी, डूंगरपुर, झालावाड़, कोटा, सवाई माधोपुर व अन्य नगर भी पर्यटन के महत्त्वपूर्ण स्थलों में से हैं पधारो म्हारे देस की अवधारणा यहाँ के हर निवासी की आत्मा में रची-बसी है। अतिथि सत्कार की जो भावना इस प्रांत में देखने को मिलती है वह अन्यत्र दुर्लभ है। यहाँ आने वाले हर देशी व विदेशी पर्यटक की आवभगत का नजारा दर्शनीय होता है। खास राजस्थानी मनुहार के साथ स्वादिष्ट व्यंजन परोसे जाते हैं जिनमें रेगिस्तानी विशेषताओं से लेकर स्वादिष्ट शाही भोजन तक शामिल है।
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