राजस्थान में सार्वजनिक क्षेत्र के महत्वपूर्ण उद्योग Important Public Sector Industries in Rajasthan
(अ) भारत सरकार के औद्योगिक उपक्रम
1. हिन्दुस्तान जिंक लिमिटेड , देबारी (उदयपुर) Hindustan Zinc Limited, Debari (Udaipur)
भारत सरकार ने उदयपुर के निकट देबारी में मैटल कॉर्पोरेशन ऑफ इंडिया के स्थान पर नवीन कंपनी हिन्दुस्तान जिंक लिमिटेड् के नाम से जस्ता गलाने का संयंत्र 10 जनवरी , 1966 से उत्पादन प्रारंभ कर दिया था । इसका प्रधान कार्यालय उदयपुर में है । जावर , दरीबा एवं मटून की खानों से निकाले गये कच्चे जस्ते को शुद्ध जस्ते का रूप देने की प्रक्रिया हिन्दुस्तान जिंक लिमिटेड् के दूसरे विभाग देबारी संयंत्र में होती है । देबारी एक गांव का नाम है । यहां जस्ता परिद्रावक संयंत्र 5 भागों में कार्यरत है
(1) फ्लूओसोलिड रोस्टर
(2) सल्फयूरिक एसिड प्लांट
(3) लीचिंग और प्यूरिफिकेशन प्लांट
(4) इलेक्ट्रोलाइसिरा और मेल्टिंग प्लांट तथा
(5) सुपर फास्फेट प्लांट
हिन्दुस्तान जिंक लि. की एक नई एकीकृत परियोजना के अन्तर्गत तीन हजार टन प्रतिदिन क्षमता का भीलवाड़ा जिले में स्थित रामपुरा-अंगूचा खनन परिसर एवं चित्तौड़गढ़ जिले में स्थित 70 हजार टन जस्ते एवं 35 हजार टन सीसे का वार्षिक क्षमता का चन्देरिया सीसा जस्ता प्रद्रावक सम्मिलित है । इस परियोजना के फलस्वरूप हिन्दुस्तान जिंक लिमिटेड की गणना विश्व की सीसा व जस्ता परिशोधन करने वाली बड़ी कम्पनियों में हो गई है। इसका प्रबन्ध अब वेदान्त रिसोर्सेज को दे दिया गया है।
2. हिन्दुस्तान कॉपर लिमिटेड Hindustan Copper Limited
झुंझुनूं जिले में खेतड़ी गांव के निकट भारत सरकार ने संयुक्त अमेरिका की वेस्टर्न नैप इंजीनियरिंग कंपनी की सहायता से तांबा शोधक संयंत्र नवंबर , 1967 में लगाया । यह कंपनी निम्न इकाइयों का संचालन करती है
(i) खेतड़ी तांबा कॉम्पलेक्स,
(ii) भारतीय तांबा कॉम्पलेक्स, घाटशिला, बिहार
(iii) पंजीकृत कार्यालय कलकत्ता में, दिल्ली, बंबई व मद्रास में ब्रांच कार्यालय ।
इस उपक्रम में राजस्थान में तीन परियोजनाएं वर्तमान में कार्यरत हैं:
(1) खेतड़ी कॉपर कॉम्पलेक्स, खेतड़ी नगर ( झुन्झुनूं ),
(2) दरीबा ताम्र परियोजना, अलवर
(3) चांदमारी ताम्र परियोजना झुन्झुनूं ।
देश की सबसे बड़ी समेकित ताम्र खनन एवं धातुकर्म इकाई खेतड़ी कॉपर काम्पलेक्स में तांबे के खनन से लेकर तांबे के वायर बार तक के बनने की प्रक्रिया होती है । खेतड़ी कॉपर में प्रतिवर्ष 45 हजार टन तांबा उत्पादन की क्षमता है । तांबा के अलावा यहां ज्योति ट्रिपल सुपर फास्फेट खाद भी तैयार की जाती है जो तांबे का ही सहउत्पाद है । यहाँ 600 टन प्रतिदिन सल्फ्यूरिक एसिड तैयार करने वाला यन्त्र भी लगाया गया है जिससे सिंगल सुपर फास्फेट खाद बनाया जा सकता है ।
खेतड़ी तांबा परियोजना में एक और सॉर्टर प्लाण्ट की स्थापना जून 1984 को की गई जिसका मुख्य कार्य कन्सनट्रेटर की क्षमता बढ़ाने के उद्देश्य से उपयुक्त ताम्र अयस्क की छंटाई करना है ।
हिन्दुस्तान कॉपर लि. मुख्यतः तार, बार, ब्लिस्टर कॉपर, ब्राय रोल्ड, सल्फ्यूरिक एसिड, सेलेनियम, स्वर्ण व चांदी सिंगल सुपर फॉस्फेट तथा निकल फॉस्फेट आदि का निर्माण करती है। यह उपक्रम निरन्तर प्रगति के पथ पर है।
3. हिन्दुस्तान मशीन टूल्स निगम, अजमेर Hindustan Machine Tools Corporation, Ajmer
अजमेर में भारत सरकार ने विभिन्न किस्म की प्रीसीजिन ग्राइडिंग मशीनों के निर्माण करने के लिए सन् 1967 में दी मशीन टूल फैक्ट्री की स्थापना की थी जिसका नाम बदल कर बाद में हिन्दुस्तान मशीन टूल्स कर दिया गया । हिन्दुस्तान मशीन टूल्स की समस्त भारत में छ : इकाईयाँ है और यदि घड़ी व डेयरी मशीनों को सम्मिलित कर लिया जाये तो पूरे देश में 13 इकाईयों इसके अन्तर्गत कार्यरत हैं ।
4. इन्स्ट्रूमेन्टेशन लिमिटेड, कोटा Instrumentation Limited, Kota
इसकी स्थापना मार्च, 1964 में हुई थी । इसके अन्तर्गत स्टील, थर्मल पॉवर व केमिकल संयंत्रों में काम आने वाले प्रोसेस कंट्रोल के व अन्य औद्योगिक यंत्रों का निर्माण होता है जैसे मेग्नेटिक इलेक्ट्रिक इन्स्ट्रूमेन्ट्स, इलेक्ट्रोनिक ऑटोमेटिकइण्डीकेटर्स, रिकार्डिंग एण्ड कण्ट्रोल इन्स्ट्रूमेण्ट्स, ट्रान्समीटर्स आदि।
राजस्थान इलेक्ट्रोनिक एण्ड इन्स्ट्रूमेन्ट्स लिमिटेड , जयपुर इसकी एक सहायक कम्पनी है जो रीको के साथ संयुक्त क्षेत्र में 1982 83 में स्थापित हुई थी। इसकी एक इकाई केरल में भी कार्यरत है।
5. सांभर साल्ट्स लिमिटेड सांभर Sambhar Salts Limited Sambhar
सन् 1964 में स्थापित सांभर साल्ट्स में 60 प्रतिशत अंश हिन्दुस्तान साल्ट्स के तथा 40 प्रतिशत अंश राजस्थान सरकार के हैं।
6. मॉडर्न बेकरीज इण्डिया लिमिटेड Modern Bakeries India Limited
यह विश्वकर्मा औद्योगिक क्षेत्र, जयपुर में स्थित है। इसकी स्थापना मॉडर्न फूड्स इण्डिया लि. के आधीन है।
(ब) राज्य सरकार के औद्योगिक उपक्रम
1. दी गंगानगर शूगर मिल्स लिमिटेड, श्रीगंगानगर
इसके अंतर्गत निम्न चार इकाइयां कार्यरत है : –
( i ) शूगर फैक्ट्री , श्रीगंगानगर : जिसमें गन्ने व चकुन्दर चीनी का उत्पादन किया जाता है । वर्तमान में चुकन्दर से चीनी बनाने का कार्य बन्द है ।
( ii ) श्रीगंगानगर एवं अटरू में स्थित डिस्टलरीज व राज्य के अन्य क्षेत्रों में स्थित मदिरा गृह , डिस्टलरीज में शोधित प्रासव ( Rectified Spirit ) का उत्पादन होता है ।
( iii ) कोटा व उदयपुर संभाग में जनजाति क्षेत्रों में देशी मदिरा की दुकानों का संचालन भी इसी के द्वारा होता है ।
( iv ) हाइटेक ग्लास फैक्ट्री , धौलपुर में कांच का सामान , बोतलें प्रयोगशालाओं में काम आने वाले उपकरण तथा रेल्वे के जारस आदि बनाये जाते हैं ।
2. राजस्थान स्टेट केमिकल वर्क्स , डीडवाना
इसके अंतर्गत तीन इकाइयां कार्यरत हैं ।
( i ) सोडियम सल्फेट वर्क्स
( ii ) सोडियम सल्फेट संयंत्र
( iii ) सोडियम सल्फाइड फैक्ट्री
3 . राजकीय लवण स्रोत , डीडवाना व पचपदरा
4. स्टेट वूलन मिल्स , बीकानेर
इस मिल की स्थापना सन् 1960 में ऊनी धागा बनाने के लिए की गई । घाटे में निरन्तर चलने से इसे 1976 में प्राइवेट फर्म को 18.1 लाख के वार्षिक लीज ( पट्टे ) पर दिया गया था किन्तु लीज राशि नहीं प्राप्त होने पर राज्य सरकार ने पुन : अपने कब्जे में ले लिया । वर्तमान में यह बन्द है ।
5. राजस्थान स्टेट टेनरीज लिमिटेड , टोंक
सन् 1971 में पंजीकृत इस उपक्रम का कार्यालय जयपुर में तथा फैक्ट्री टोंक में स्थित है । यहां लैदर फोम , स्किन , हाइड्स व सोल लैदर बनाये जाते है । मुख्य उत्पादन के रूप में भेड़ की खाल से निर्मित चमड़ा है जिसका विक्रय देश – विदेश में होता है । इसके उत्पादन का लगभग 50 प्रतिशत विदेशों को निर्यात होता है ।
6. चूरू – लाडनू की वस्टेंड स्पिनिंग मिल्स
इन दोनों मिलों राजस्थान लघु उद्योग निगम ने स्थापित किया है जिनमें ऊन की कताई की जाती है । चूरू में राजस्थान वूल कॉम्बर्स नामक इकाई भी इसी निगम ने स्थापित की है । यह मिल वर्ष 1985 से घाटे में चली , अतः वर्ष 1990 से इसे पूर्णतः बन्द किया हुआ है ।
7. फ्लोरस्पार बेनिफिशियल संयंत्र-मांडो की पाल, डूंगरपुर
यहां स्टील एवं फाउण्ड्री कार्य में प्रयुक्त होने वाले एसिड ग्रेड फ्लोर्सपार को तैयार किया जाता है ।
8. सेन्ट्रल इण्डिया मशीनरी मैन्यूफैक्चरिंग कम्पनी (CIMMCO), भरतपुर Central India Machinery Manufacturing Company Bharatpur
इस कारखाने की स्थापना सन् 1957 में की गई थी । इसकी बैंगन उत्पादन करने की वार्षिक क्षमता लगभग 6000 वैगन है ।
राजस्थान में औद्योगिक विकास में तीव्र गति लाने हेतु सरकार ने निम्न निगमों का गठन किया है जिन्होंने इस दिशा में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है।
1. राजस्थान राज्य औद्योगिक विकास एवं विनियोजन निगम (RHCO) Rajasthan State Industrial Development and Appropriation Corporation
28 मार्च, 1969 को राजस्थान राज्य उद्योग एवं खनिज विकास निगम की स्थापना की गई। लेकिन नवम्बर, 1979 में खनिज विकास निगम को इससे पृथक कर दिया गया। इस प्रकार जनवरी, 1980 से इसका राजस्थान राज्य औद्योगिक विकास एवं विनियोग निगम (रीको) कर दिया गया। वर्तमान में इसका कार्य क्षेत्र केवल औद्योगिक विकास तक ही सीमित हैं। वर्तमान में रीको निम्न कार्यों में संलग्न हैं
(1) नवीन औद्योगिक क्षेत्रों व बस्तियों का निर्माण करवाना ।
(2) औद्योगिक इकाईयों के शेयर क्रय करना, उनका अभिगोपन करना ।
(3) औद्योगिक उपक्रमों को तकनीकी मार्ग दर्शन प्रदान करना, उनकी परियोजनाओं के प्रतिवेदन तैयार करवान ।
(4) उद्यमियों को विभिन्न प्रकार के प्रोत्साहन , सुविधाएं एवं रियायतें
(5) औद्योगिक परियोजनाओं का संचालन करना ।
(6) नवीन उद्योगों के लिए प्रवर्तक के रूप में कार्य करना ।
(7) प्रवासी भारतीयों को आवश्यक सेवाएं उपलब्ध करवाना ।
2. राजस्थान राज्य वित्त निगम ( RFC )
इस निगम की स्थापना 8 अप्रैल, 1955 को लघु एवं मध्यम उद्योगों को उनके विकास हेतु दीर्घकालीन वित्तीय सुविधाएं प्रदान करने के लिए की गई थी । इस निगम को निम्न कार्य करने का अधिकार अधिनियम की धारा 25 के अन्तर्गत प्राप्त हैं
( 1 ) औद्योगिक संस्थानों द्वारा निर्गमित अंशों, स्टॉक, बाण्ड तथा ऋणपत्रों का अभिगोपन करना ।
( 2 ) औद्योगिक संस्थानों के ऋण तथा अग्रिम स्वीकार करना तथा उनके ऋण पत्रों में धन लगाना ।
( 3 ) राज्य में औद्योगिक संस्थाओं द्वारा लिए गये ऐसे ऋण पत्रों की गारन्टी देना जो 20 वर्षों से अधिक के न हो तथा जिन्हें बाजार में बेचा गया हो ।
राजस्थान राज्य वित्त निगम द्वारा औद्योगिक इकाईयों को 2000 रुपये से लेकर 20 करोड़ रुपये तक के ऋण उपलब्ध करवाए जाते हैं ।
इस निगम की लघु एवं मध्यम उद्योगों को वित्तीय सहायता प्रदान करने के लिये कई कार्यक्रम (Schemes) जैसे
(1) कम्पोजिट टर्म लोन स्कीम
(2) शिल्पबाड़ी स्कीम
(3) टेक्नोक्रेट स्कीम
(4) महिला उद्यमकर्ता कार्यक्रम
(5) सबसिडी की एवज में कर्ज की स्कीम
(6) सिंगल विंडो स्कीम
(7) नर्सिंग होम स्कीम
(8) सेम्फैक्स (Semfex) स्कीम
(9) होटल उद्योग वित्तीय स्कीम आदि संचालित किये गये हैं।
3. राजस्थान लघु उद्योग निगम (RAJSICO) Rajasthan Small Industries Corporation
इस की स्थापना 3 जून, 1961 को राज्य की लघु इकाईयों एवं हस्तशिल्पियों को सहा यता, प्रोत्साहन तथा उनके द्वारा उत्पादित वस्तुओं के समुचित विपणन को ध्यान में रखते हुए की गई थी। एक फरवरी, 1975 को इसे – सार्वजनिक कम्पनी का स्वरूप प्रदान किया गया।
4. राज्य उपक्रम निगम
इसके संरक्षण में राज्य की अनेक लघु एवं मध्यम औद्योगिक इकाइयां कार्यरत है जैसे राजकीय लवण स्रोत, पचपदरा व डीडवाना , राजस्थान स्टेट टेनरीज लि. टोंक, राजस्थान स्टेट केमिकल वर्क्स, डीडवाना, दी गंगानगर शुगर मिल्स लि. श्रीगंगानगर, स्टेट वूलन मिल्स, बीकानेर । इनके अतिरिक्त काफी संख्या में हस्तकला, चमड़े का कार्य, पत्थर का सामान बनाने के कारखाने भी इस विभाग की देखरेख में कार्यरत है।
सहकारी उपक्रम
(i) केशोरायपाटन शूगर मिल्स , केशोरायपाटन (बून्दी)
(ii) राजस्थान सहकारी स्पिनिंग मिल्स गुलाबपुरा (भीलवाड़ा)
(iii) शीत भण्डार जयपुर , अलवर
(iv) पशु आहार कारखाना , जयपुर
(v) कीटनाशक कारखाना , जयपुर
(vi) चावल मिलें – बूंदी , बारां , बांसवाड़ा , कोटा , उदयपुर , हनुमानगढ़ –
औद्योगिक विकास के लिये राज्य सरकार ने लीड़ बैंक योजना भी चलाई है। इस योजना के अन्तर्गत निम्न प्रकार बैंकों को जिले आवंटित किये गये हैं :
बैंक ऑफ बड़ौदा : अजमेर, भीलवाड़ा, बूंदी, चित्तौड़गढ़, बांसवाड़ा, चूरू, डूंगरपुर, टोंक, झुन्झुनूं एवं सवाई माधोपुर।
पंजाब नेशनल बैंक : भरतपुर, अलवर, सीकर, धौलपुर।
राजस्थान बैंक : उदयपुर, राजसमन्द ।
यूको बैंक : जयपुर, दौसा, जोधपुर, नागौर।
सेन्ट्रल बैंक ऑफ इण्डिया : कोटा, बांरा, झालावाड़।
स्टेट बैंक ऑफ बीकानेर एण्ड जयपुर: बाड़मेर, बीकानेर, गंगानगर, जैसलमेर, नागौर, पाली व सिरोही।
ये सभी बैंक अपने अपने क्षेत्रों में पर्याप्त वित्तीय संसाधन उपलब्ध कराने का कार्य कर रहे हैं।