राइबोसोम की खोज किसने की और राइबोसोम की संरचना, आकृति, संख्या
राइबोसोम की खोज (Discovery)
राइबोसोम- सर्वप्रथम क्लॉडे (claude 1941) ने इलेक्ट्रॉन सूक्ष्मदर्शी की सहायता से 150-250 A° व्यास के समन कणों को कोशिका द्रव्य में स्वतन्त्र एवं खुरदरी अन्तःप्रदव्यी जालिका पर देखा तथा माइक्रोसोम नाम दिया। रॉबिन्सन और ब्राउन (Robinson and Brown, 1953) ने इन्हें इलेक्ट्रॉन सूक्ष्मदर्शी द्वारा देखा। खुरदरी अन्तअदव्यी जालिका पर उपस्थित कणों का पैलाडे और पोर्टर (Palede and Porter, 1954) द्वारा अध्ययन किया गया तथा पैलाडे (Palede, 1955) ने इन कणों को राइबोसोम या राइबोन्यूक्लियो प्रोटीन नाम दिया।
राइबोसोम सभी सजीव कोशिकाओं में उपस्थित होते हैं। प्रोकेरियोटिक कोशिकाओं में ये कोशिका द्रव्य में स्वतन्त्र रूप से बिखरे रहते हैं, जबकि यूकेरियोटिक कोशिकाओं में RER की झिल्लियों पर लगे होते हैं तथा कोशिकाद्रव्य में बिखरे रहते हैं। RER की झिल्ली पर लगे राइबोसोम अपेक्षाकृत अधिक सक्रिय होते हैं। दोनों ही रूपों में राइबोसोम प्रोटीन संश्लेषण का कार्य करते हैं।
राइबोसोम्स की संख्या (Number)
राइबोसोम्स की संख्या कोशिका में स्थित RNA की मात्रा, प्रोटीन संश्लेषण क्रियाओं में सक्रिय एवं निष्क्रिय होने के कारण भिन्न-भिन्न होती है।
राइबोसोम आमाप एवं आकृति (Size & Shape )
प्रोकेरियोटिक कोशिकाओं में 180 A तक तथा यूकेरियोटिक कोशिकाओं में 200-150 A व्यास के होते हैं।
राइबोसोम परासंरचना (Ultrastructure)
राइबोसोम एकक झिल्ली रहित कोशिकांग हैं। प्रत्येक राइबोसोम दो उपइकाइयों (Subunits) से निर्मित होता हैं। इनकी एक उपइकाई लघु जबकि दूसरी दीर्घ होती है। उपइकाइयों का परस्पर जुड़ना एवं अलग-अलग होना मैग्नीशियम आयनों (Mg ++) की सान्द्रता पर निर्भर करता है । Mg 0.001 M होने पर दोनों उपइकाइयाँ मिलकर पूर्ण राइबोसोम निर्मित करती है। Mg ++ होने पर दोनों उपइकाइयाँ पृथक हो जाती है। Mg ++ सांद्रता सान्द्रता कम सान्द्रता अधिक (लगभग 10 गुना अधिक) होने पर दो राइबोसोम्स जुड़कर (Dimer) का निर्माण करते हैं, जिसका अणुभार अकेले राइबोसोम की अपेक्षा दुगुना होता है एक mRNA पर तीन या इसमें अधिक राइबोसोम्स जुड़कर एक समूह बनाते हैं, जिसे पॉलीसोम या पोलीराइबोसाम (polyribosomes) कहते हैं।
प्रोकेरियोटिक कोशिका तथा क्लोरोप्लास्ट में राइबोसोम का अवसादन गुणांक 70 ‘S’ जबकि यूकेरियोटिक कोशिका में 80 ‘S’ होता है । माइटोकॉन्डिया के राइबोसोम का अवसादन गुणांक में 5.5 ‘S’ होता है। 80 ‘S’ का राइबोसोम 60 ‘S’ एवं 40 ‘S’ उपइकाइयों से बना होता है। जबकि 70 ‘S’ राइबोसोम में 50 ‘S’ तथा 30 ‘S’ उपइकाईयाँ होती है।
इलेक्ट्रॉन माइक्रेस्कोप द्वारा राइबोसोम की परासंरचना का अध्ययन संभव है। इसकी दोनों उपइकाईयाँ RNA तथा प्रोटीन से मिलकर बनी होती है। अन्ततः RNA तथा प्रोटीन कुण्डलित होकर एक जटिल संरचना का निर्माण करती है।
लघु उपइकाई में एक छोटा सिर (head) तथा बड़ी काय (body) होती है। दोनों इकाइयों के बीच एक दरार (cleft) पाया जाती है। जिसके कारण एक उभार प्लेटफार्म (platform) निर्मित होता
दीर्घ उपइकाई में मुंडेर (ridge), एक केन्द्रिय उभार (central protuberance) और एक वृत्त (stalk) पाया जाता है। मुंडेर एवं केन्द्रिय उभार के मध्य एक सुरंग (tunnl) पायी जाती है। जिसमें mRNA का अणु स्थित होता है। दोनों उपइकाइयाँ जुड़कर सम्पूर्ण राइबोसोम को निर्मित करती है।
रासायनिक संगठन (Chemical Composition)
राइबोसोम RNA तथा प्रोटीन घटकों से मिलकर निर्मित होते हैं। इनमें लिपिड्स अनुपस्थित होती है। राइन्नोसोम में द्विसयोजक मेटेलिक आयन भी पाये जाते हैं। 70 ‘S’ राइबोसोम में RNA तथा प्रोटीन अनुपात 2 : 1 होता है, जबकि 80 ‘S’ राइबोसोम में RNA प्रोटीन 1: 1 होता है।
राइबोसोम के कार्य (Functions of Ribosomes)
राइबोसोम कोशिका का इंजन है क्योंकि इसके द्वारा अमीनो अम्ल एक निश्चित क्रम में जुड़कर पोलीपेप्टाइड श्रंखला को निर्मित करते हैं तथा प्रोटीन का संश्लेषण होता
राइबोन्यूक्लिक एसिड (आरएनए)
RNA द्वितीय महत्त्वपूर्ण न्यूक्लिक अम्ल हैं, जो कि वाइरसों में आनुवंशिक नियन्त्रण का तथा अन्य सभी कोशिकाओं में प्रोटीन संश्लेषण का कार्य करते हैं। मुख्य रूप में RNA कोशिकाद्रव्य तथा केन्द्रिका में पाया जाता है। कोशिकाद्रव्य में यह मुक्त अवस्था में tRNA व mRNA के रूप में तथा राइबोसोम्स में rRNA के रूप में पाया जाता है। माइट्रोकोण्डिया व हरितलवक में भी RNA उपस्थित होते हैं। सामान्यत: RNA एक लड़ी से बना होता है।