रणथम्भौर किले का इतिहास History of Ranthambore Fort
रणथम्भौर दुर्ग ranthambore fort रन और थभं नाम की पहाड़ियों के बीच बना एक दुर्ग है। इस दूर्ग के तीनों ओर पहाड़ियों में बनी प्राकृतिक खाई है, जो इस किले को सुरक्षा प्रदान करती है। यूनेस्को ने 21 जून 2013 को रणथम्भौर दुर्गे को विश्व धरोहर की सूूची में शामिल किया गया है
रणथम्भौर दुर्ग का निर्माण कब हुआ When was the Ranthambhore fort built?
रणथम्भौर दुर्ग Ranthambore Fort का निर्माण राजा सज्जन वीर सिंह नागिल ने करवाया था तथा इस दुर्ग में राव हमीर देव चौहान की भूमिका प्रमुख मानी जाती है। अबुल फजल ने इस दुर्ग के बारे में कहा है कि अन्य सब दुर्ग नंगे है यह बख्तरबंद है। अलाउद्दीन खिलजी ने 3 साल तक के असफल प्रयास के बाद बड़ी मुश्किल से रणथम्भौर दुर्ग Ranthambore Fort पर हम्मीर देव चौहान को धोखे से हराकर 1301 में कब्जा कर लिया तराइन के द्वितीय युद्ध में पृथ्वीराज चौहान की हार के बाद उसके पुत्र गोविंद राज ने रणथम्भौर को अपनी राजधानी बनाई थी
रणथम्भौर दुर्ग की सबसे ज्यादा ख्याति हम्मीर देव चौहान के काल में रही थी। हमीर देव चौहान ने अपने जीवन काल में कुल 17 युद्ध लड़ेे थ जिनमें से वे 13 युद्धो में विजय रहे थे। रणथम्भौर के दुर्ग में राजस्थान का प्रथम साका हुआ था
रणथम्भौर दुर्ग के उपनाम Surnames of Ranthambhore Durg
रणथम्भौर दुर्ग Ranthambore Fort का वास्तविक नाम है रन्त:पुुर जिसका अर्थ है रण की घाटी में स्थित नगर रणथम्भौर दुर्ग Ranthambore Fort के उपनाम है हमीर की आन बान, दुर्गाधीराज और चित्तौड़ के किले का छोटा भाई
रणथम्भौर दुर्ग का प्राचीन नाम Ancient name of Ranthambhore fort
रणथम्भौर दुर्ग Ranthambore Fort का प्राचीन नाम रणस्तम्भपुर था और रणथम्भौर दुर्ग का पतन 11 जुलाई 1311 को हुआ था
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