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राजस्थान का अपवाह तंत्र: नदियां/आंतरिक अपवाह की नदिया drainage system of rajasthan – river

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राजस्थान का अपवाह तंत्र ( नदी, झील, परियोजना ), अपवाह तंत्र नोट्स[drainage system of rajasthan]

राजस्थान की अपवाह तंत्र को संगम के आधार पर तीन भागों में बांटा गया है

अपवाह तंत्र drainage system

  • अरब सागर 17%
  • अंतः प्रवाही नदी 60%
  • बंगाल की खाड़ी की नदियां 23%
  1. अरावली को राजस्थान की जल विभाजक रेखा के रूप में जाना जाता है, क्योंकि अरावली राजस्थान के अपवाह तंत्र को दो भागों (पूर्व में बंगाल की खाड़ी एवं पश्चिम में अरब सागर की नदियाँ) में बांटती है।
  2. राजस्थान में अन्तः प्रवाही नंदिया सर्वाधिक है, क्योंकि राजस्थान में मरुस्थल का विस्तार सर्वाधिक है।
  3. भारत के फूल सतही जाल / नदी जल का राजस्थान में 1.18 प्रतिशत है।
  4. भारत के कुल भूमिगत जल का राजस्थान में 1.69 प्रतिशत है।
  5. राजस्थान में कुल नदी बेसिन 15 एवं उप-बेसिन 58 है।

अरब सागर की नदियां

  • लूनी
  • साबरमती
  • माही
  • पश्चिमी बनास

लूनी नदी

> उद्गमः- नाग पहाड़ी (अजमेर)

> संगम:- कच्छ का रण (गुजरात)

> लंबाई:- 495 कि.मी. (राजस्थान में लंबाई- 350 कि.मी.)

>अपवाह तंत्र:- अजमेर, पाली, नागौर,जालोर, बाड़मेर,जोधपुर

> सहायक नदियाँ:- सुकड़ी, जवाई, सांगी, बांडी, खारी, जोजडी, मीठडी, लीलडी, गुड़िया

> नोट:

(1) जोजड़ी:- लूनी में दायीं ओर से आने वाली एकमात्र नदी ।

(2) बांडी:- इसे रासायनिक नदी भी कहा जाता है क्योंकि इस नदी में रंगाई-छपाई उद्योग से आने वाला रासायनिक जल मिलता है।

लूनी नदी विशेषताएँ

1. लूनी के अन्य नाम

  • सागरमती
  • लवणवती
  • आधा मीठा आधा खारी
  • अंत सलिला (कालिदास के अनुसार)

• रेल/नाडा:- जालोर में लूनी के अपवाह क्षेत्र को रेल/नाडा कहा जाता है

2. बालोतरा (बाड़मेर)

  • लूनी नदी में बाढ़ इसी क्षेत्र में आती है।
  • बालोतरा के बाद लूनी नदी का पानी खारा हो जाता है।

3. राजस्थान के कुल अपवाह तंत्र में लूनी नदी का योगदान 10.40 प्रतिशत है।

लूनी मरू प्रदेश में सबसे लंबी नदी है।

4. बांध परियोजना

  1. जसवंत सागर / पिचयाक बांध (लूनी) – जोधपुर
  2. बकली बांध (सुकड़ी) – जालोर
  3. हेमावास बांध (बांडी) पाली
  4. जवाई बांध (जर्जाई) – सुमेरपुर, पाली

5. जवाई बांध

  • यह पाली (सुमेरपुर) में स्थित है।
  • जवाई बांध की जलापूर्ति पाली, जोधपुर, जालौर और सिरोही को की जाती है।
  • इसे मारवाड़ का अमृतसरोवर’ कहा जाता है।
  • जब जवाई बांध में जल स्तर घटता है, तो सेई जल सुरंग से जलापूर्ति होती है।
  • नोट:- सेई सुरंग
  • यह राजस्थान राज्य की पहली जल सुरंग है जो उदयपुर से जवाई बांध तक जलापूर्ति करती है।

माही नदी

  • उद्गम- महेंद झील (अमरेस पहाड़ी-विध्याचल
  • संगम – खंभात की खाडी (गुजरात)
  • लंबाई – 576 किलोमीटर (राजस्थान में 171 किलोमीटर)
  • अपवाह क्षेत्र – बासवाड़ा (सर्वाधिक), डूंगरपुर प्रतापगढ़
  • सहायक नदियाँ अराव, अन्नास, सोम, चाप, मोरेन, जाखम

1. उपनाम

  • आदिवासियों की गंगा
  • कांडल की गंगा
  • वागड की गंगा
  • दक्षिणी राजस्थान की स्वर्ण रेखा नदी ।

2. त्रिवेणी संगम

बेणेश्वर धाम (नवाटापरा डूंगरपुर) – यहां सोम माही और जाखम का संगम होता है। माघ पूर्णिमा को यहाँ मैले का आयोजन किया जाता है जिसे “आदिवासियों का कुंभ कहा जाता है। इस मेले में भील जनजाति सर्वाधिक आती है।

3. सुजलम सुफलाम परियोजनाएं

माही नदी में सफाई के लिए चलाया गया कार्यक्रम

सुजलम परियोजना

बाड़मेर में B.A.R.C. (भाभा परमाणु अनुसंधान केन्द्र – ट्रॉम्बे, महाराष्ट्रा) द्वारा चलाई गई पेयजल परियोजना

4. कर्क रेखा को दो बार काटने वाली विश्व की एकमात्र नदी ।

5. माही राजस्थान के दक्षिण से प्रवेश कर पश्चिम की ओर बहने वाली नदी

6. बांध परियोजना

  • माही बजाज सागर- बांसवाड़ा
  • कागदी पिकअप बांध – बांसवाड़ा
  • कड़ाना बांध – गुजरात
  • सोम- कागद परियोजना – उदयपुर
  • सोम-कमला अम्बा – डूंगरपुर
  • जाखम बांध – प्रतापगढ़

माही बजाज सागर बांध

  • स्थिति – बोरखेडा (बांसवाड़ा)
  • लम्बाई- 3109 मीटर

नोट- यह राजस्थान का सबसे लम्बा बांध है, जबकि आदिवासी क्षेत्र व दक्षिणी राजस्थान में सबसे बड़ी परियोजना है।

(ii) जाखम बांध

स्थिति – सीतामाता अभयारण्य (प्रतापगढ़) नोट:- यह राजस्थान का सबसे ऊँचा बांध (81 मीटर) है।

पश्चिमी बनास

  1. उद्गम- नया सानवारा गाँव (सिरोही)
  2. संगम – लिटिल कच्छ (गुजरात)
  3. लम्बाई – 226 किलोमीटर
  4. अपवाह क्षेत्र – सिरोही
  5. सहायक नदियाँ – कुकड़ी, सुकली/सिपु
  6. आबू (सिरोही) और डीसानगर (गुजरात) पश्चिमी बनास के किनारे स्थित है।

साबरमती

  • उद्गम – पदराना हिल्स, उदयपुर
  • संगम- खम्भात की खाड़ी
  • लम्बाई – 416 किलोमीटर (राज. में लम्बाई 45 किलोमीटर).
  • अपवाह क्षेत्र उदयपुर
  • सहायक नदियाँ – वेतरक, सेई, हथमति, मेश्वा, मानसी, वाकल एवं माजम

विशेषताएँ

  • अहमदाबाद साबरमती तथा गांधीनगर, साबरमती नदी के किनारे स्थित है।
  • साबरमती राजस्थान की वह नदी है जिसका मुख्य अपवाह क्षेत्र गुजरात है।

साबरमती पर जल सुरम

सेई जल सुरंगमानसी वाकल जल सुरंग
विस्तार- उदयपुर से पाली
जलापूर्ति- जवाई बांध को
महत्व- राजस्थान की पहली जल सुरंग
विस्तार – उदयपुर
जलापूर्ति – देवास परियोजना / मोहनलाल सुखाड़िया
महत्व – राजस्थान की सबसे लम्बी जलसुरंग

अन्त:प्रवाह नदियाँ

घग्घर नदी

  • उद्गम- कालका पहाड़ी (शिवालिक हिमालय हिमाचल प्रदेश)
  • अपवाह क्षेत्र- हनुमानगढ़ गंगानगर,

विशेषताएँ

1. उपनाम

  • सरस्वती (प्राचीन नाम)
  • मृत नदी
  • नट नदी
  • दृष्टिद्वती

2. घग्घर के अपवाह क्षेत्र को अलग-अलग क्षेत्र में अलग अलग नाम से जाना जाता है।

अपवाह क्षेत्र

  1. नाली / पाट (हनुमानगढ़)
  2. हकरा (पाकिस्तान)

नोट – नाली अपवाह क्षेत्र के पास पाई जाने वाली भेड नस्ल को नाली नस्ल कहा जाता है।

3. हिमालय से राजस्थान आने वाली एकमात्र नदी है।

4 श्री राम वाडरें एवं हनुवंता राय को सरस्वती नदी का प्राचीन मार्ग को खोजने के लिए नियुक्त किया गया।
5. जलपट्टी – जैसलमेर में सरस्वती नदी का भू-गर्भिक जलीय अवशेष, जो पोकरण से मोहनगढ़ के मध्य स्थित है।

6. भारत की सबसे लम्बी अन्तः प्रवाही नदी घग्घर है।

7. फोर्ट अब्बास- पाकिस्तान में घग्घर नदी का अंतिम बिन्दु है, जहां घग्घर नदी में अधिक पानी या बाढ़ आने पर पहुचती है।

कातली (काटली) नदी

  • उद्गम – खंडेला पहाड़ी (सीकर)
  • अपवाह क्षेत्र – सीकर – झुंझुनू

नोट– कातली नदी के अपवाह क्षेत्र को तोरावाटी के नाम से जाना जाता है, जिसका विस्तार सीकर और झुंझुनू में है ।

कातली राजस्थान में सबसे लम्बी अंतः प्रवाही नदी है, जिसकी लम्बाई 100 कि.मी. है।

साबी नदी

  • उद्गम – सेवर पहाड़ी (जयपुर)
  • अपवाह क्षेत्र – जयपुर, अलवर

नोट – साबी राजस्थान की वह नदी जो गुड़गांव मैदान (हरियाणा) में विलिन होती है।

बाणगंगा नदी

  • उद्गम बैराठ जयपुर
  • अपवाह क्षेत्र – जयपुर – दौसा – भरतपुर
  • सहायक नदियाँ सूरी, सेवान, पलासन, गोमती नाला

विशेषताएँ

1. उपनाम

  • अर्जुन की गंगा
  • ताला नदी
  • रुंदित नदी

• वह सहायक नदी जो अपनी मुख्य नदी में गिरने से पहले ही समाप्त हो जाती है, उसे रुण्डित नदी कहते हैं। यह दर्जा बाणगंगा को 2012 में दिया गया।

2. बांध परियोजनाएँ

  • अजान बांध

यह भरतपुर जिले में स्थित है। इस बांध में जल की कमी होने पर इसमें पांचना बांध (करौली) से जलापूर्ति की जाती है। इस से जलापूर्ति केवलादेव राष्ट्रीय उद्यान में की जाती है।

  • रामगढ़ बांध (जयपुर)

बांध परियोजना

अजान बांध (भरतपुर)

रूपारेल / वराह नदी

  • उत्पत्ति – उदयनाथ पहाड़ी (अलवर)
  • अपवाह क्षेत्र:- अलवर, भरतपुर

मोती झील

यह भरतपुर में स्थित मीठे पानी की झील है। जिसके द्वारा सिंचाई के लिए जलापूर्ति की जाती है।इस कारण इसे ‘भरतपुर जिले की जीवन रेखा भी कहा जाता है।

सुजान गंगा

यह एक चैनल है जो मोती झील व लोहागढ़ को जोड़ता है।

काकनी/ काकनेय नदी

  • उपनाम- मसूरदी नदी
  • उद्गम- कोटरी गांव (जैसलमेर)
  • अपवाह क्षेत्र- जैसलमेर
  • बुझ झील यह जैसलमेर में स्थित मीठे पानी की झील है जो काकनी नदी द्वारा निर्मित है।

नोट –

  • सांभर में सर्वाधिक नमक लाने वाली नदी तथा
  • सांभर अभिकेद्रीय नदी प्रतिरूप का उदाहरण है अर्थात् नदियाँ चारों ओर से आकर एक स्थान (सांभर) पर मिलती हैं।
  • बालसन :- पर्वतों में घिरे हुए जल बेसिन / नदी बेसिन को बालसन कहा जाता है। उदाहरण सांभर झील ।

बंगाल की खाड़ी की नदियाँ

  • चम्बल
  • बनास
  • बेड़च
  • गंभीर

चंबल

  • उद्गम :- जानापाव पहाड़ी इंदौर (विंध्यन पर्वतमाला मध्यप्रदेश)
  • संगम – यमुना – इटावा (उत्तर प्रदेश)
  • लम्बाई: 1051 किलोमीटर (राजस्थान में लम्बाई 322 किलोमीटर) पुरानी लम्बाई :- 966 किलोमीटर (राजस्थान में लम्बाई 135 किलोमीटर)
  • अपवाह क्षेत्र: चित्तौड़गढ़:- चम्बल का राजस्थान में प्रवेश (चौरासीगढ़) कोटा. बून्दी एवं डॉग क्षेत्र (करौली, सवाई माधोपुर एवं धौलपुर)
  • सहायक नदियाँ:- गुंजाली, मेज, मांगली, पार्वती, निवाज (नवाज), आहू कालीसिंध, घोड़ा-पछाड़. पवन/ ग्राडोणी यास चाकण, कुन कुराल, सीप

नोट

1. सामेला – आहू व कालीसिंध के संगम को सामेला कहा जाता है। जिसके -किनारे गागरोन दुर्ग स्थित है।

2. बनास – चम्बल की सबसे लम्बी सहायक नदी है।

3. कालीसिंघ – चम्बल में दाईं ओर से सबसे लम्बी सहायक नदी है।

विशेषताएँ

1. चम्बल नदी के उपनाम चर्मण्वती (प्राचीन नाम). कामधेनू, बारहमासी ।

2. त्रिवेणी संगम – रामेश्वरम् घाट- पदरा गाँव (सवाई माधोपुर)

3. चुलिया जलप्रपात

  • स्थिति – भैंसरोड़गढ़ (चित्तौड़गढ़)
  • नदी- चम्बल
  • विशेष:- यह राजस्थान का ‘सबसे ऊँचा’ जल प्रपात है जिसकी ऊँचाई 18 मीटर है।
  • नोट:- कुचीकरण जलप्रपात :- भारत का सबसे ऊँचा (455 मीटर) जलप्रपात जो वाराही नदी : पर कर्नाटक में स्थित है।

4. हैंगिंग ब्रिज:- यह कोटा में चम्बल नदी पर स्थित है जो राजस्थान का एक मात्र हैंगिंग ब्रिज है। जिसकी लम्बाई 1.5 कि.मी. है। यहां से NH27 गुजरता है।

5. चम्बल अंतरराज्यीय सीमा पर (राजस्थान-मध्यप्रदेश) बहने वाली सबसे लम्बी नदी है।

6. चंबल में संरक्षित जीव-जंतु

  • संरक्षित जीव
  • घड़ियाल
  • गांगेय सूस
  • उदबिलाव

7. चम्बल के अवनालिको अपरदन द्वारा उत्खात (Bad Land) भूमि का निर्माण होता है। जिसे बीहड़ / डांग कहा जाता है। जिसका विस्तार- करौली, सवाईमाधोपुर एवं धौलपुर में है।
8. चम्बल की बाँध परियोजना – राजस्थान, मध्यप्रदेश के सहयोग से चम्बल पर तीन चरणों में चार बाँध का निर्माण किया गया।

बाँध की योजना

  • I चरण- गाँधी सागर (मन्दसौर) कोटा बैराज (कोटा)
  • II चरण- राणा प्रताप सागर (चित्तौड़गढ़)
  • III चरण- जवाहर सागर / कोटा बांध (कोटा-बून्दी)

बनास

  • उद्गम :- खमतौर पहाड़ी (राजसमंद)
  • संगम :- चम्बल नदी (रामेश्वरम् घाट – सवाई माधोपुर)
  • लम्बाई : 512 किलोमीटर
  • अपवाह क्षेत्र : मेवाड़ का मैदान (राजसमन्द, भीलवाड़ा, चित्तौड़गढ़) मालपुरा – करौली मैदान (अजमेर, टोंक सवाईमाधोपुर)।
  • सहायक नदियाँ :- कालीसिल, डाई, मांसी, बांडी, मोरेल, मैनाल, आयड़, कोठारी एवं खारी ।
  • खारी – बनास की सबसे लंबी नदी है।
  • बेड़च – दाई ओर से बनास नदी की सबसे लंबी सहायक नदी है।
त्रिवेणीअवस्थिति
बनास, बेडच, मेनालबीगोद- भीलवाड़ा
बनास, खारी, डाईराजमहल-टॉक
बनास, चम्बल, सीपरामेश्वरम् घाट सवाईमाधोपुर

बनास की विशेषता

1. बनास के उपनाम

  • वन की आशा / वर्णाशा
  • वशिष्ठी नदी
  • नोट:- बनास राजस्थान में सर्वाधिक त्रिवेणी बनाने वाली नदी है।

3. बनास :- राजस्थान में सर्वाधिक प्रदूषित नदी मानी जाती है।
4. केवल / पूर्णत राजस्थान में बहने वाली सबसे लम्बी नदी बनाते है।

नोट:- चम्बल राजस्थान की सबसे लम्बी नदी है।

5. बांध परियोजना:

  • बीसलपुर बांध – टोंक (बनास)
  • ईसरदा बांध – सवाई माधोपुर (बनास)
  • मोरेल बांध – दौसा (मोरेल)
  • मेजा बांध – भीलवाड़ा (कोठारी)

(i) बीसलपुर बांध (टोंक – बनास)

  • बीसलपुर :- राजस्थान की सबसे बड़ी पेयजल परियोजना है।
  • जलापूर्ति :- टोंक, अजमेर, जयपुर, नागौर, दौसा, सवाई माधोपुर।
  • बीसलपुर राजस्थान का “सबसे बड़ा कंक्रीट बांध है।
  • बीसलपुर राजस्थान के कंजर्वेशन रिजर्व में शामिल है।
  • नदी जोड़ों परियोजना के तहत बीसलपुर बांध को चम्बल नदी से जोड़ा जायेगा।
  • नोट – अमृत क्रांति – नदी जोड़ो परियोजनाओं से संबंधित है।
  • बीसलपुर के अतिरिक्त जल को ईसरदा बांध में छोड़ा जाता है।
  • > बीसलपुर बांध पर रंगीन मछलियों का प्रजनन केंद्रित स्थापित किया गया है।

बेड़च/आयड नदी

  • उद्गम – गोगुड़ा हिल्स – उदयपुर।
  • संगम – बनास (बीगोद – भीलवाड़ा)
  • अपवाह क्षेत्र उदयपुर, चित्तौड़गढ़, भीलवाड़ा
  • सहायक नदी गंभीर नदी (जिसका उद्गम-मध्य प्रदेश)

विशेषता

  • उदयसागरः- आयड़ नदी उदयसागर झील में गिरने के बाद बेड़च कहा जाता है
  • चित्तौड़गढ़ दुर्ग बेड़च व गंभीरी नदी के किनारे स्थित है।
  • बेड़च बनास में दांए ओर से मिलने वाली सबसे लम्बी सहायक नदी है।

गंभीर नदी

  • > उद्गम- सपोटरा तहसील (करौली)
  • > संगम – यमुना मैनपुरी (उत्तर प्रदेश)
  • > अपवाह क्षेत्र:- करौली, धौलपुर, भरतपुर सहायक नदियाँ:- अटा, माची, भद्रावती, भैंसावट एवं बरखेड़ा।

विशेषताएँ:

1. पांचना बांध :

  • स्थित :- करौली
  • राजस्थान का “सबसे बड़ा मिट्टी का बांध” ।
  • पाँचवा बांध से जलापूर्ति अजान बांध (केवलादेव भरतपुर) में की जाती नोटः- पांचना बांध गंभीर की पाँच सहायक नदियों पर करौली में निर्मित है। जो राजस्थान का “सबसे बड़ा मिट्टी का बांध है।
  • चम्बल के अलावा सीधे यमुना से मिलने वाली राजस्थान की दूसरी नदी गम्भीर है।

महत्वपूर्ण बिंदु

  • बीकानेर – चुरू :- राजस्थान के वे जिले जहाँ कोई नदी नहीं है।
  • चित्तौड़ – चित्तौड़गढ़ जिले में अधिकतम नदियाँ है ।
  • कोटा संभाग – इस संभाग में सर्वाधिक नदियाँ है।
  • बीकानेर संभाग – इस संभाग में राजस्थान में न्यूनतम नदी है।
  • सर्वाधिक लम्बाई उत्तरी राजस्थान की सबसे लंबी नदी घरघर
  • मरुस्थलीय क्षेत्र या पश्चिमी राजस्थान की सबसे लंबी नदी लूनी
  • दक्षिणी राजस्थान या आदिवासी क्षेत्र की सबसे लंबी नदी माही
  • पूर्वी राजस्थान की सबसे लंबी नदी – चंबल
  • √ केवल / पूर्णतः राजस्थान की सबसे लंबी नदी – बनास

राजस्थान की प्रमुख मुख्य एवं सहायक नदियां

साबीअन्तः प्रवाही नदियां
सागीलूनी की सहायक
मोरेनमाही
मोरेलबनास
पार्वतीचंबल
पार्बतीगभीर
गंभीरयमुना
गंभीरीबेडच
कातलीतोरावाटी
काकनी/ काकनेयजैसलमेर की मसूरदी
सूकड़ीलूनी
सुकलीपश्चिमी बनास
बनासबंगाल की खाड़ी
पश्चिमी बनासअरब सागर
काली सिंध चंबल
काली सिलबनास
मांसीबनास
मानसीवाकल (साबरमती)
रूपारेलअलवर, भरतपुर (मोती झील)
रूपनगढ़अजमेर (सांभर)
बांडी (उद्गम- पाली)लूनी (अरब सागरीय नदी)
बांडी (उद्गम-अजमेर)बनास (बंगाल की खाड़ी)
खारीशेरगाँव पहाड़ी (सिरोही) – लूनी (अरब सागरीय नदी)
खारीनागौर – सांभर (अन्तः प्रवाही नदी)
खारीबिजराल पहाड़ी (राजसमंद) बनास (बंगाल की खाड़ी)
सीपचम्बल
सीपूपश्चिमी बनास
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