यूग्लीना (Euglena)

यूग्लीना क्या है ? Euglena in hindi, यूग्लीना का वर्गीकरण हिंदी में

1. यूग्लीना का वर्गीकरण (Classification)-

  • संघ प्रोटोजोआ (Phylum Protozoa)- एक कोशिकीय अर्थात् अकोशिकीय (non cellular) जन्तु जो प्राय: सूक्ष्मदर्शीय होते हैं। वर्ग मैस्टीगोफोरा (Class Mastigophora)- गमन-अंगक रोम समान लम्बे, “संख्या में केवल 1 से 8 कशाभ (flagella) होते हैं।
  • गण यूग्लीनॉइडिया (Order Euglenoidina)- जन्तु में केवल एक अथवा दो कशाभ होते हैं तथा जीव द्रव्य में क्लोरोफिल रचनाएँ जिन्हें क्लोरोप्लास्ट (Chloroplast) कहते हैं उपस्थित होती हैं। साथ ही इनमें संग्रहित खाद्य पेरामाइलम (paramylum) होता है।
  • जीनस यूग्लेना

यूग्लीना (Euglena)

2. यूग्लीना का स्वभाव एवं आवास (Habit and habitat)-

यूग्लीना अलवण जल का जन्तु है तथा जल भरे खड्ढों, पोखरों एवं तालाबों आदि के स्थिर एवं कार्बनिक पदार्थ युक्त जल में पाया जाता है।

3. यूग्लीना के सामान्य लक्षण (Salient features) –

शरीर तर्कु-आकार (spindle-shaped) तथा लगभग 0.1mm लम्बा होता है। देह एक महीन पैलिकल (pellicle) नामक आवरण से ढकी होती है। शरीर के अग्र अन्त पर कोशिकीय मुख अर्थात् साइटोस्टोम (cytostome) होता है जो एक छोटी बेलनाकार कोशिकीय-ग्रंसिका (cytopharynx) द्वारा एक बड़ी रसधानी (vacuole) जिसे रिजरवॉयर (reservoir) कहते हैं, में खुलता है।

रिजरवॉयर के आधार से दो कशाभ (lagellum) निकलते हैं जिनमें से एक बहुत लम्बा होता है जो कोशिकीय मुख से बाहर निकला रहता है। दूसरा सूक्ष्म कशाभ धानी में ही रह जाता है, अत: बाहर दिखाई नहीं देता है।

जीवद्रव्य में एक लम्बे कशाभ के आधार के निकट एक प्रकाश-ग्राही (phpto sensitive) रचना होती है जो प्रकाशग्राही (photoreceptor) कहलाता है। एक अन्य बड़ी वर्णकयुक्त प्रकाश-ग्राही रचना धानी के निकट उपस्थित होती है जिसे स्टिंगमा अथवा नेत्रबिन्दु (stigma or eye-spot) कहते हैं। इन रचनाओं के अतिरिक्त जीव-द्रव्य में एक बड़ा मध्यस्थ केन्द्रक (nucleus), कई बेलनाकार हरे रंग की क्लोरोप्लास्ट (chloroplast) रचनाएँ, पैरामाइलम (paramylum) नामक संग्रहित खाद्य के कण तथा संकुचनशील रसधानी (contractile vacuole) उपस्थित होती है।

यूग्लीना अपने कोशिकीय मुख से ठोस भोजन को निगलने की क्षमता नहीं रखता है वरन् यह पोषण हेतु अपने क्लोरोफिल युक्त क्लोरोप्लास्ट द्वारा स्वयं पोषक पदार्थों का पौधों की तरह निर्माण करता है। इस प्रकार की पोषण-विधि के अतिरिक्त यह जल में घुले पोषक पदार्थ अपनी अर्ध पारगम्य पैलिकल द्वारा शरीर में ले लेता है।

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