बैटरियां क्या है परिभाषा , गुण, प्रकार
बैटरियां भी गैल्वनी सेल ही होती हैं जिनमें रेडॉक्स अभिक्रिया द्वारा विद्युत ऊर्जा उत्पन्न होती हैं। बैटरी में 2 या 2 से अधिक गैल्वनी सेल श्रेणीक्रम में जुड़े होते हैं जिससे अधिक विद्युत धारा प्राप्त की जा सकें।
एक अच्छी बैटरी के गुण
(1) वजन में हल्की हो।
(2) स्थिर वोल्टता की विद्युतधारा दे सकें।
(3) अधिक समय तक ऊर्जा दे सके।
(4) कम कीमत और आकार छोटा हो।
बैटरीयो के प्रकार
बैटरियाँ मुख्यत: दो प्रकार की होती है
(1) प्राथमिक बैटरियां (Primary Battery)
(2) द्वितीयक या संचायक बैटरियाँ (Secondary or Storage Battery)
प्राथमिक बैटरी या सैल
इन बैटरियों में रासायनिक अभिक्रिया केवल एक ही दिशा में होती है। जब अभिक्रिया पूर्ण हो जाती है तो विद्युत उत्पादन बन्द हो जाता है। इन अभिक्रिया को विद्युत धारा प्रवाहित करके विपरित दिशा में नहीं करवाया जा सकता है। अतः इन्हें पुनः चार्ज नहीं किया जा सकता है। उदाहरण शुष्क सेल, मर्करी सेल।
[A] शुष्क सेल (Dry Cell)
- यह लैक्लांशे सैल पर आधारित है।
- यह सेल गोलाकार Zn धातु का बना सिलिंडर होता हैं, जो एनोड का कार्य करता है तथा इसके मध्य में ग्रेफाइट की छड़ होती है, जो कैथोड का कार्य करती है।
- ग्रेफाइट छड़ के पास कार्बन व MnO2, चूर्ण का गीला पेस्ट होता है तथा पात्र (Zn धातु सिलिंडर) की दीवारों के मध्य
- NH4Cl व ZnCl2, का गीला पेस्ट भरा होता है। सेल के चारों ओर की दीवारों को विद्युत रोधी करने के लिए मोटे कागज का आवरण होता है।
- इस सेल को विद्युत परिपथ से जोड़ने पर, Zn इलेक्ट्रॉन त्याग कर Zn+2 आयनों में बदलती है। ये इलेक्ट्रोन बाह्य परिपथ से होते हुऐ कैथोड द्वारा ग्रहण होते हैं। कैथोड पर NH4+ आयन इलेक्ट्रॉन ग्रहण कर उदासीन होते हैं तथा यहां MnO2, का भी अपचयन होता है।
शुष्क सेल के दोष
इसमें NH4Cl की अम्लीय प्रकृति के कारण, जब सेल को कार्य में नहीं ले रहे होते हैं, तब भी सेल की Zn की दीवार संक्षारित होती रहती है, जिससे दीवारों में छेद हो जाते हैं। जिससे रासायनिक यौगिक और विद्युत धारा रिस कर बाहर आने लगती हैं। इसे रोकने के लिए जिंक की दीवारों को धातु की पतली चद्दर से कवर कर दिया जाता है जो की अक्रिय होती है। ऐसे सेल को लीक प्रुफ सेल कहते हैं। इन सैलों में 1.25 V से 1.5V विद्युत धारा स्थिर रूप से प्राप्त होती है।
(b) मर्करी सेल
- यह एक नये प्रकार का सेल है, जिसका उपयोग छोटे वैद्युत उपकरणों जैसे- सुनने वाली मशीन, घड़ी, केलकुलेटर, कैमरा आदि में किया जाता है।
- इसमें एनोड Zn धातु का और कैथोड ग्रेफाइट का होता है। दोनों इलेक्ट्रॉड़ों के मध्य HgO और KOH का गीला पेस्ट भर देते हैं, जो वैद्युत अपघट्य का कार्य करता है।
- एक सरन्ध्र कागज, वैद्युत अपघट्य को Zn एनोड से अलग रखता है।
- इस सेल में पूर्ण अभिक्रिया के दौरान आयनों की सान्द्रता में कोई परिवर्तन नहीं होता है। अतः यह सैल समाप्त होने तक लगातार 1.35 V स्थिर विद्युत देता है।
- यह सैल उपयोग में आने के बाद इसे इस प्रकार खत्म करना चाहिये की प्रदूषण न हो। क्योंकि मर्करी यौगिक तीव्र विषाक्त होते हैं।
2. द्वितीयक सैल (Secondary Cell)
इन सैलों में रासायनिक क्रिया दोनों तरफ होती है। इनमें क्रियाकारकों से उत्पाद बनते हैं तो विद्युत ऊर्जा प्राप्त होती हैं।
जब क्रियाकारक पूर्ण रूप से उत्पाद में बदल जाते हैं तो विद्युत ऊर्जा प्राप्त होनी बन्द हो जाती है। अतः बैटरी डिस्चार्ज हो जाती है।
अब इसमें विद्युत धारा प्रवाहित करके उत्पाद को पुनः क्रिया कारकों में बदलते हैं तो बैटरी पुनः आवेशित हो जाती है। उदाहरण- लैड स्टोरेज सेल, निकल कैडमियम स्टोरेज सेल आदि।
(A) लैड अम्ल स्टोरेज या सीसा संचायक बैटरी
इन बैटरियों का उपयोग मोटर गाड़ियों में किया जाता है। ये द्वितीयक प्रकार की बैटरी है। इन्हें निरावेशित होने के बाद पुनः आवेशित किया जा सकता है।
इस प्रकार के एक सेल से 2 Volt विद्युत प्राप्त होती है, अतः 3 या 6 सेल को श्रेणीक्रम में जोड़कर 6 या 12 वोल्ट प्राप्त की जा सकती है। इसमें ऐनोड Pb का बना होता है। Pb-Sb मिश्र धातु की जाली में महीन चूर्ण किया हुआ स्पंजी लैड भरा रहता है। कैथोड के रूप में Pb-Sb की जाली में PbO2 , का – महीन चूर्ण भरा होता है।
इन कैथोड व एनोड की अनेकों प्लेटों को एकान्तर क्रम में व्यवस्थित किया होता है तथा इनके मध्य सरन्ध्रमय प्लास्टिक या फाइवर ग्लास की शीट लगी होती हैं। ये सभी प्लेटें तनु H2SO4 ( 38% और घनत्व 1.30 gm/cc) में डूबी रहती है, जो सख्त रबड़ या प्लास्टिक के पात्र में भरा होता हैं। यहां H2SO4 विद्युत अपघटय का कार्य करता है । बैटरी डिस्चार्ज होते समय अर्थात धारा देते समय सेल में निम्न अभिक्रियाएं संपन्न होती है।
एनोड पर
Pb(s) + SO4(aq) → PbSO4(s) + 2e
कैथोड पर
PbO2 (s) + SO2-4 (aq) + 4H+ (aq) + 2e– → PbSO4 (s) + 2H2O
सम्पूर्ण सैल अभिक्रिया
Pb(s) + PbO2(s) + 2H2SO4(aq) → 2PbSO4(s) + 2H2O(l)
अतः बैटरी के डिस्चार्ज होते समय H SO समाप्त होता जाता है। जिससे इसका घनत्व कम होता जाता है। जब घनत्व 1.20cm3 हो जाता है, तो बैटरी को चार्ज करने की आवश्यकता होती है। जब बैटरी डिस्चार्ज हो जाती है तो दोनों इलेक्ट्रॉडों पर PbSO4 जमा हो जाता है। बैटरी को चार्ज करते समय विद्युत धारा प्रवाहित करते हैं तो सेल में डिस्चार्ज की विपरीत अभिक्रिया होती है
इस प्रकार रिचार्ज बैटरी से पुनः विद्युत धारा प्राप्त हो सकती है। अतः बैटरी बार-बार काम में आती रहती है।
लैड या सीसा संचायक बैटरी के दोष
सीसासंचायक सेल का मुख्य दोष यह है कि सेल को पुनः चार्ज करते समय PbSO4 के जो क्रिस्टल पुनः Pb और PbO2, में नहीं बदल पाते हैं, उन्हें यह सैल जमा करता रहता है। जिससे सेल की क्षमता समय के साथ साथ घटती रहती है।
लैड या सीसा संचायक बैटरी की विशेषता
(1) इस सेल का बार बार उपयोग किया जा सकता है।
(2) सेल की दक्षता बहुत अधिक (80%) है।
(3) सेल की आयु 2 से 3 साल तक होती हैं।
(b) निकल कैडमियम बैटरी
- यह एक द्वितीयक बैटरी है।
- इससे 1.4 Volt की विद्युत धारा प्राप्त होती है।
लैड या सीसा संचायक बैटरी के उपयोग
इसका उपयोग फोन, पेजर, मोबाइल फोन आदि में होता है। इसमें Cd का एनोड होता है तथा NiO, युक्त धात्विक जाली कैथोड होती है।
इसमें विद्युत अपघट्य KOH होता है।
इस सैल के चार्ज व डिस्चार्ज के दौरान कोई गैस बाहर नहीं निकलती है, अतः इस सेल को सील बन्द किया जा सकता है।
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