प्लाज्मा थेरेपी क्या है what is plasma therapy
प्लाज्मा थेरेपी रक्त के 2 भाग होते हैं जिसमें 55% प्लाज्मा और 45% रक्त कणिका यानी कि ब्लड सेल्स होती है। रक्त में से रक्त कणिकाओं को अलग करने के बाद जो शेष पीला पदार्थ बचता है उसे प्लाज्मा कहते हैं। प्लाज्मा थेरेपी में प्लाज्मा वाले पीले द्रव को ही एक व्यक्ति से दूसरे व्यक्ति में ट्रांसफर किया जाता है।
प्लाज्मा थेरेपी कैसे करते हैं /क्या होता है प्लाजमा थेरेपी में What happens in plasma therapy
प्लाज्मा थेरेपी को कन्वेन्सलेन्ट प्लाज्मा थेरेपी भी कहते हैं । प्लाज्मा थेरेपी में किसी ऐसे व्यक्ति का प्लाज्मा निकाला जाता है जो पहले से किसी महामारी, वायरस या जीवाणु जनित से ग्रसित था और अब वह स्वस्थ हैं ऐसा इसलिए करते है क्योकि जब वह व्यक्ति बीमारी से ग्रसित होता हैं तो प्लाज्मा उस बीमारी से संबंधित एंटीबॉडी का निर्माण करता है और अब यह एंटीबॉडी प्लाज्मा के थ्रू किसी अन्य अस्वस्थ व्यक्ति के शरीर में प्रवेश किया जाता है तो एंटीबॉडी रोग विशेष के वायरस या जीवाणु से लड़ने की क्षमता प्रदान करता है अर्थात रोग प्रतिरोधक क्षमता प्रदान करता है इस तरह वह बीमार व्यक्ति एंटीबॉडी के जरिए स्वस्थ हो जाता है।
प्लाज्मा डोनेट कौन कर सकता है Who can donate plasma
18 से 60 वर्ष के व्यक्ति प्लाज्मा डोनेट कर सकते हैं जो उस बीमारी से मुक्त हुए कम से कम 10 से 15 दिन हो चुके हैं । वजन 50 kg या इससे अधिक होना चाहिए जो व्यक्ति कैंसर, किडनी ,लीवर से संबंधित बीमारी, डायबिटीज बीपी, शुगर तथा लंबी बीमारी से पीड़ित जैसे कि टीबी, एड्स आदि से ग्रसित हो प्लाज्मा डोनेट नहीं कर सकते।
Plasma therapy के Side Effects
प्लाजमा थेरेपी के साइड इफेक्ट्स निम्न है
- प्लाज्मा थेरेपी करने वाले व्यक्ति में नसें खराब हो सकती है।
- प्लाज्मा डोनेट करने वाले व्यक्ति को कमजोरी हो सकती है तथा चक्कर आदि भी आ सकते हैं
- डिहाइड्रेशन तथा इंफेक्शन का खतरा रहता है
- सुस्ती और थकान आदि सामान्य लक्षण है
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