परिसीमन आयोग क्या होता है, परिसीमन का अर्थ क्या है? Delimitation In Hindi
परिसीमन– निर्वाचन आयोग के अनुसार , किसी देश या एक विधायी निकाय वाले प्रांत में क्षेत्रीय निर्वाचन क्षेत्रों ( विधानसभा या लोकसभा सीट ) की सीमाओं को तय करने या फिर से परिभाषित करने का कार्य परिसीमन है ।
परिसीमन अभ्यास ( Delimitation Exercise ) एक स्वतंत्र उच्चस्तरीय पैनल द्वारा किया जाता है जिसे ‘ परिसीमन आयोग ‘ के रूप में जाना जाता है , जिसके आदेश कानूनी रूप से सुदृढ़ होते हैं और किसी भी न्यायालय द्वारा इन पर सवाल नहीं उठाया जा सकता है । किसी निर्वाचन क्षेत्र के क्षेत्रफल को उसकी जनसंख्या के आकार ( पिछली जनगणना ) के आधार पर फिर से परिभाषित करने के लिये वर्षों से अभ्यास किया जाता रहा है ।
एक निर्वाचन क्षेत्र की सीमाओं को बदलने के अलावा इस प्रक्रिया के परिणामस्वरूप राज्य में सीटों की संख्या में भी परिवर्तन हो सकता है ।
संविधान के अनुसार , इस अभ्यास में अनुसूचित जाति ( SC ) और अनुसूचित जनजाति ( ST ) के लिये विधानसभा सीटों का आरक्षण भी शामिल है ।
परिसीमन के लिये संवैधानिक आधार constitutional basis for delimitation
• संविधान के अनुच्छेद 82 के तहत भारत की संसद प्रत्येक जनगणना के बाद एक परिसीमन अधिनियम अधिनियमित करती है ।
• अनुच्छेद 170 के तहत राज्यों को भी प्रत्येक जनगणना के बाद परिसीमन अधिनियम के अनुसार क्षेत्रीय निर्वाचन क्षेत्रों में विभाजित किया जाता है ।
• एक बार अधिनियम लागू होने के बाद केंद्र सरकार एक परिसीमन आयोग का गठन करती है ।
• हालाँकि पहला परिसीमन अभ्यास राष्ट्रपति द्वारा ( निर्वाचन आयोग की मदद से ) वर्ष 1950-51 में किया गया था ।
• परिसीमन आयोग अधिनियम वर्ष 1952 में अधिनियमित किया गया था ।
• वर्ष 1952 , 1962 , 1972 और 2002 के अधिनियमों के आधार पर चार बार अर्थात् वर्ष 1952 , 1963 , 1973 और 2002 में परिसीमन आयोगों का गठन किया गया है । वर्ष 1981 और वर्ष 1991 की जनगणना के बाद परिसीमन नहीं किया गया ।
परिसीमन आयोग delimitation commission
परिसीमन आयोग का गठन भारत के राष्ट्रपति द्वारा किया जाता है । और यह भारतीय निर्वाचन आयोग के सहयोग से काम करता है ।
परिसीमन आयोग की संरचना Composition of the Delimitation Commission
• सर्वोच्च न्यायालय के सेवानिवृत्त न्यायाधीश
• मुख्य चुनाव आयुक्त
• संबंधित राज्य चुनाव आयुक्त
जम्मू – कश्मीर में परिसीमन
• अतीत में जम्मू – कश्मीर में परिसीमन अभ्यास क्षेत्र की विशेष स्थिति के कारण देश के बाकी हिस्सों से थोड़ा अलग रहा है ।
• लोकसभा सीटों का परिसीमन तब जम्मू – कश्मीर में भारतीय संविधान द्वारा शासित था , लेकिन विधानसभा सीटों का परिसीमन जम्मू – कश्मीर संविधान और जम्मू – कश्मीर लोक प्रतिनिधित्व अधिनियम , 1957 द्वारा अलग से शासित किया गया था ।
• हालाँकि जम्मू – कश्मीर ने अपना विशेष दर्जा खो दिया और 5 अगस्त , 2019 को अनुच्छेद 370 के तहत अपनी विशेष स्थिति को निरस्त करने के बाद दो केंद्रशासित प्रदेशों ( जम्मू – कश्मीर और लद्दाख ) में विभाजित हो गया ।
• 6 मार्च , 2020 को भारत सरकार ने सुप्रीम कोर्ट के सेवानिवृत्त न्यायाधीश रंजना प्रकाश देसाई की अध्यक्षता में परिसीमन आयोग की स्थापना की जिसे एक वर्ष में जम्मू – कश्मीर में परिसीमन को समाप्त करने का कार्य सौंपा गया था ।