चित्तौड़गढ़ दुर्ग के प्रमुख साके
चित्तौड़गढ़ दुर्ग में तीन साके हुए थे।
1. चित्तौड़गढ़ का प्रथम साका
1303 ई में राणा रतन सिंह के काल में अलाउद्दीन खिलजी ने चित्तौड़ पर आक्रमण किया जिसमें गोरा बादल ने केसरिया किया और रानी पद्मावती (पदमनी) ने जोहर किया
2. चित्तौड़गढ़ का दूसरा साका
चित्तौड़गढ़ का दूसरा साका 1534 ईसवी में हुआ जिसमें रानी कर्मावती ने जौहर किया इस समय चित्तौड़ पर गुजरात के सुल्तान बहादुर शाह ने आक्रमण किया था
3. चित्तौड़गढ़ का तीसरा साका
चित्तौड़गढ़ का तीसरा साका 1567-68 को हुआ था जयमल और पत्ता राठौड़ ने केसरिया किया और स्त्रियों ने किले में जौहर किया
- घोसुंडी अभिलेख का क्या महत्व है
- साध्वी प्रज्ञा ठाकुर का जीवन परिचय
- विभिन्नताएँ क्या है, विभिन्नताओं के प्रकार, विभिन्नताओं के कारण