शाकनाशी “प्रतिरोधी ट्रांसजैनिक पौधे (Herbicide resistant transgenic plants)
फसलों का उत्पादन खेतों में अपतृण या शाकीय खरपतवारों (weeds) की वजह से अत्यधिक प्रभावित होता है। इनकी उपस्थिति से फसल का उत्पादन घट जाता है व मुख्य फसल उत्पादक पौधों को पूरा पोषण प्राप्त नहीं हो पाता। इसलिए आधुनिक कृषि में भरपूर फसल प्राप्त करने एवं खरपतवारों के उन्मूलन के लिए अनेक प्रकार के रासायनिक शाकनाशी पदार्थों, जैसे 2-4D व 2.4-5-T जैसे पदार्थों का छिड़काव किया जाता है। ये अत्यन्त विषैले पदार्थ होते हैं, जो कई बार शाकीय खरपतवारों को नष्ट करने के साथ-साथ पर्यावरण, मृदा एवं मुख्य फसल को भी नुकसान पहुँचाते हैं।
वैज्ञानिकों ने शाकनाशी रसायनों के हानिकारक प्रभावों को ध्यान में रखकर निरापद शाकनाशियों की खोज की। उन्होंने एक विशिष्ट पदार्थ ग्लाइफोसेट की पहचान की, जो आसानी से अपघटित हो जाता है एवं मृदा तथा पर्यावरण के लिए निरापद रहा, परन्तु इस पदार्थ को छिड़काव करने से शाकीय खरपतवारों के साथ-साथ मुख्य फसल उत्पादक पौधे भी नष्ट हो गये। अतः इस समस्या के निदान हेतु जैनेटिक इंजीनियरिंग के विभिन्न संसाधनों का उपयोग करके फसल उत्पादक पौध गों को रूपान्तरण द्वारा ग्लाइफोसेट के लिए प्रतिरोधी बनाने के प्रयास किये गये।
जिसके लिए निम्न दो विधियाँ काम में ली गई
(अ) उत्परिवर्ती चयन द्वारा (By mutant selection)
(ब) जीन के स्थानान्तरण द्वारा (By gene transfer)
वर्तमान में आर्थिक पौधों में शाकानाशी गुण विकसित किये गये हैं जो निम्न है
(1) टमाटर एक तम्बाकू के पौधों में aro- A नामक जीन को स्थापित किया गया है, जिसकी कार्यशीलता से ग्लाइफोसेट से अप्रभावित EPSP इंजाइमों का संश्लेषण होता है।
(2) टमाटर एवं पिटूनिया (Petunia) में EPSP एंजाइम को अत्यधि कि उत्पादक (over-production) करने वाले जीन स्थापित किये गये हैं। इसके परिणामस्वरूप ग्लाइफोसेट का निरोधक गुण निष्प्रभावी हो जाता
इसके अलावा प्रकृति में भी ऐसे जीनों की खोज की जा रही है जो कि शाकनाशियों का अविषालुकरण करने में सहायक होते हैं तथा इन जीनों को फसल उत्पादक पौधों में स्थानान्तरित किया जा रहा है।
इसके कुछ प्रमुख उदाहरण निम्न हैं
(1) स्ट्रेप्टोमाइसीज (Streptomyeces) की एक जीवाणु प्रजाति में PAT एंजाइम (Phosphinothricin acetyl transferase) को कोडित करने वाली bar जीन शाकनाशी रसायन L- फॉस्फीनोइरिथ्रिन (L Phosphinoery thrin: PPT) को अविषालु (detoxic) बनाती है। इस जीन को ब्रेसिक, टमाटर एवं आलू में स्थानान्तरित किया गया है।
(2) जीवाणु क्लेबसियैलो न्यूमोनी (Klebsiella pneumonae) में एंजाइम नाइट्रीलेज (Nitrilase) को कोडित करने वाला जीन bxn ब्रोमोक्सीनिल (Bromoxynil) नामक शाकनाशी रसायन का अविषालुकरण (detoxification) कर देता है। ऐसे जीन को टमाटर में सफलतापूर्वक स्थानान्तरित कर दिया गया है।
(3) इसी तरह कुछ जीवाणु एवं मक्का में पार Compare जीन GST ऐट्रेजाइन को विषरहित या अविषालु बनाता है।