अधिगम स्थानान्तरण / अन्तरण / तबादला Transfer of Learning, अधिगम स्थानान्तरण का अर्थ, परिभाषा एवं प्रकार, अधिगम स्थानांतरण के सिद्धांत
जब एक स्थिति में सीखा हुआ ज्ञान, कौशल, अनुभव व प्रशिक्षण किसी दूसरी स्थिति में प्रयोग किया। जाता है तो उसे अधिगम स्थानान्तरण कहते हैं।
अधिगम स्थानान्तरण परिभाषाऐं learning transfer definitions
1. ब्लेयर, जॉन्स व सिम्पसन के अनुसार :- जब पहले के सीखने का प्रभाव किसी नई अनुक्रिया के निष्पादन या सीखने पर पड़ता है तो उसे सीखने का अंतरण माना जाता है।
2. अण्डरवुड :- अधिगम स्थानांतरण का अर्थ वर्तमान क्रिया पर पूर्व अनुभवों का प्रभाव होता है।
3. सॉरेन्सन :- अधिगम स्थानांतरण एक परिस्थिति में अर्जित ज्ञान, प्रशिक्षण व अनुभवों को दूसरी स्थिति में स्थानांतरण करने का उल्लेख करता है।
अधिगम स्थानान्तरण के प्रकार Types of Learning Transfer
1. सकारात्मक स्थानान्तरण
जब एक स्थिति में सीखा हुआ ज्ञान किसी दूसरी स्थिति में सहायक होता है तो इसे सकारात्मक / धनात्मक या अनुकूल स्थानान्तरण कहते हैं।
जैसे:
(i) गणित विषय का ज्ञान भौतिकी के ज्ञान में सहायक होता है।
(ii) साइकिल चलाने वाला स्कूटर चलाना आसानी से सीख जाता है।”
2. नकारात्मक स्थानान्तरण
जब एक स्थिति में सीखा हुआ ज्ञान किसी दूसरी स्थिति में बाधक होता है तो इसे नकारात्मक / ऋणात्मक या प्रतिकूल स्थानान्तरण कहते हैं।
जैसे:
(i) कला विषय के विद्यार्थी को विज्ञान विषय को पढ़ने में बाधा उत्पन्न होती है। (ii) अमेरिका के ड्राइवर को भारत में कार चलाने में बाधा आती है।
3. शून्य स्थानान्तरण
जब एक स्थिति में सीखा हुआ ज्ञान किसी दूसरी स्थिति में न तो सहायक होता है और न बाघक होता है तो इसे शून्य स्थानान्तरण कहते हैं। जैसे
i. प्रार्थना याद कर लेने पर देशभक्ति गीत याद करने में उतना ही समय लगता है।
(ii) एक क्रिकेट मैच में बैटिंग का ज्ञान बॉलिंग में सहायक नहीं होता है।
सकारात्मक स्थानांतरण के प्रकार
1. समस्तर अंतरण / क्षैतिज अंतरण (Horizontal transfer)
समस्तर अंतरण वैसे अंतरण को कहा जाता है जिसमें सीखे गए कौशल का अंतरण समान स्तरीय कौशल को सीखने में होता है। इसके दो उदाहरण है :
(i) पार्वीय अंतरण (Laternal Transfer) :- पार्वीय अंतरण एक ऐसा अंतरण है जिसमें सीखे गए कौशल का अंतरण (Transfer) एक ऐसी परिस्थिति (Situation) या ऐसे विषय के सीखने में होता है, जो उसी स्तर (Level) का होता है। जैसे यदि शिक्षक ने कक्षा में विद्यार्थी को 8-2 = 6 सिखाए हैं, और शिक्षार्थी घर पर जाकर फ्रिज में रखे 8 अण्डे में दो अण्डे को निकाल लेने के बाद यह समझता है। कि अब उसमें मात्र 6 अण्डे ही शेष रह गए होंगे, तो यह पार्वीय अंतरण (Lateral transfer) का उदाहरण होगा।
(ii) अनुक्रमिक अंतरण (Sequential transfer) विषयों को एक क्रम (Sequence) में सीखना जैसे यदि छात्र जोड़, घटाव तथा गुणा (multiplication) सीखकर भाग देने की प्रक्रिया को सीखता है।
2. अनुलम्ब अंतरण / लम्बवत् अंतरण / उर्ध्वाकार अंतरण (Vertical transfer)
अनुलम्ब अंतरण वैसे अंतरण को कहा जाता है जिसमें सीखे गए कौशल का अंतरण उच्च स्तर के कौशल को सीखने में होता है। गेगनी ने इस तरह के अंतरण को सीढ़ी पर ऊपर की ओर बढ़ने के समान की प्रक्रिया माना है।
3. द्विपार्श्वीय अंतरण या क्रॉस शिक्षा (Bilateral transfer or Cross education )
मानव शरीर के दो समान पार्वीय भाग (lateral aspects) हैं- बायाँ (Left) तथा दायाँ (Right) । जब शरीर के बाएँ अंग से सीखे गए कौशल का अंतरण स्वत: दाएँ अंग से सीखने पर या दाएँ अंग से सीखे गए कौशल का अंतरण स्वतः बाएँ अंग से सीखने पर होता है, तो उसे ही द्विपार्वीय सीखना कहा जाता है।
अधिगम स्थानांतरण के सिद्धांत (Theory of Learning transfer)
1. औपचारिक अनुशासन का सिद्धांत / मानसिक शक्तियों का सिद्धांत (Theory of Formal Discipline)
सभी स्थानान्तरण सिद्धांतों में यह सबसे पुराना है। मूल रूप में यह सिद्धांत शक्ति मनोविज्ञान पर आधारित है। शक्ति मनोविज्ञान के समर्थकों का विचार है कि मानव मस्तिष्क विभिन्न शक्तियों यथा तर्क, निर्णय, निरीक्षण, स्मृति चिंतन आदि से बना है और ये शक्तियों एक-दूसरे से भिन्न या स्वतंत्र है। इस सिद्धांत के अनुसार अभ्यास के द्वारा प्रशिक्षित करके इन शक्तियों को सवल बनाया जा सकता है और किसी भी परिस्थिति में कुशलतापूर्वक प्रयोग किया जा सकता है।
2. समान / समरूप तत्त्वों का सिद्धांत (Theory of Indentical Fements)
इस सिद्धांत के प्रतिपादक थॉर्नडाइक है। अपने प्रयोगों के आधार पर थार्नडाइक ने इस बात की पुष्टि की है कि स्थानान्तरण तभी संभव है जब दो अनुभवों की विषय-सामग्री या विषयों में कुछ न कुछ समानता होती है। यदि विषयों में परस्पर समानता होती है तो एक विषय का अर्जित ज्ञान, दूसरे विषय के अध्ययन में सहायक होता है। इसके विपरीत यदि दो विषयों में समान तत्वों या अशो का अभाव है तो एक विषय का ज्ञान दूसरे विषय के अध्ययन में सहायक नहीं हो सकता है।
3. सामान्यीकरण का सिद्धांत (Theory of Generalization)
इस सिद्धांत के प्रतिपादक सी. एच. जड है। उनका विचार है – जब एक छात्र, विज्ञान के किसी विषय के सामान्य सिद्धान्त को भली प्रकार समड़ा जाता है, तब उसमे अपने प्रशिक्षण को दूसरी परिस्थितियों में स्थानान्तरित करने की क्षमता उत्पन्न हो जाती है।” अतः व्यक्ति अपने किसी कार्य ज्ञान या अनुभव से यदि कोई सामान्य नियम निकाल लेता है तो वह दूसरी परिस्थिति में उसका प्रयोग या स्थानान्तरण कर सकता है। में
4. सामान्य एवं विशिष्ट अंश का सिद्धांत (Theory of ‘G’ and ‘S’ Factor)
इसे द्वितात्विक सिद्धांत भी कहते हैं। इसके प्रतिपादक स्पीयरंगन है। इस सिद्धांत के अनुसार प्रत्येक विषय को सीखने के लिए बालक को सामान्य और विशिष्ट योग्यता की आवश्यकता पड़ती है। स्पीयरमैन का विचार है कि स्थानान्तरण केवल सामान्य योग्यता या तत्व का ही होता है, विशिष्ट तत्व का नहीं।
5. पक्षांतर सिद्धांत / अवयववादी सिद्धांत / पूर्णाकार का सिद्धांत (Transposition Theory)
यह सिद्धांत गेस्टाल्टवादियों का है। इस सिद्धांत के अनुसार एक परिस्थिति से दूसरी परिस्थिति में सीखे गए कौशल का अंतरण का आधार पक्षावर (ransposition) होता है। प्राणी द्वारा संबंधात्मक विभेद करने की स्पष्ट क्षमता को पक्षांतर कहा जाता है।”
6. आदर्शों एवं मूल्यों का सिद्धांत (Theory of ideals)
इस सिद्धांत का प्रतिपादन डब्ल्यू सी – बागले ने प्रस्तुत किया। इस सिद्धांत के अनुसार आदशों और मूल्यों का एक परिस्थिति से दूसरी परिस्थति में स्थानान्तरण होता रहता है।
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